Economic Survey 2023: वित्त मंत्री ने संसद में पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, विकास दर के 6.5% रहने का है अनुमान

 
Economic Survey 2023: वित्त मंत्री ने संसद में पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, विकास दर के 6.5% रहने का है अनुमान

Economic Survey 2023: संसद का बजट सत्र की आज सुबह 11 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के अभिभाषण के साथ शुरुआत हुई. राष्ट्रपति ने लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों को संबोधित किया. जिसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में आर्थिक सर्वे पेश किया गया. आर्थिक सर्वे पेश होने के बाद लोकसभा की कार्यवाही कल 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है. बता दें कि कल वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश किया जाएगा.

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क्या होता है आर्थिक सर्वेक्षण?

यूनियन बजट पेश होने से ठीक एक दिन पहले आर्थिक सर्वेक्षण को सामने रखा जाता है. ये आर्थिक सर्वेक्षण बजट का मुख्य आधार होता है और इसमें इकोनॉमी की पूरी तस्वीर सामने आती है. इसके जरिए सरकार देश की अर्थव्यवस्था की ताजा हालत के बारे में बताती है. ये दो हिस्सों में पेश होता है, जिसके पहले हिस्सों में देश की इकोनॉमी की ताजा हालत के बारे में जानकारी साझा की जाती है. वहीं दूसरे हिस्से में विभिन्न सेक्टर्स के प्रमुख आंकड़े प्रदर्शित किए जाते हैं.

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Economic Survey 2023 की खास बातें

आर्थिक सर्वे में अनुमान दिया गया है कि दुनियाभर में मंदी की आहट के बावजूद भारत की आर्थिक विकास दर अगले वित्त वर्ष यानी 2023-24 में 6.5% बनी रहेगी.हालांकि, यह मौजूदा वित्त वर्ष के 7% और पिछले वित्त वर्ष यानी 2021-22 के 8.7% के आंकड़े से कम है. वहीं आईएमएफ के अनुसार भारत 2023 और 2024 में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा.

हालांकि कोरोना के चलते दो साल मुश्किल भरे रहे और कोरोना के साथ महंगाई ने नीतियों पर असर डाला है. सप्लाई चेन ने महंगाई संकट बढ़ाया और सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाया है. सर्विस सेक्टर पर कोरोना का सबसे ज्यादा असर देखा गया है. आर्थिक सर्वे में बताया गया है कि कोरोना संकटकाल में हुए नुकसान की भरपाई हो गई है और कोरोना से कृषि पर न्यूनतम असर देखा गया है.

Economic Survey 2023: वित्त मंत्री ने संसद में पेश किया आर्थिक सर्वेक्षण, विकास दर के 6.5% रहने का है अनुमान
credit- ANI Twitter

इसके अलावा एमएसएमई सेक्टर को दिए जाने वाले लोन को लेकर आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि कर्ज में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. जनवरी से नवंबर 2022 के बीच 30.5 फीसदी ज्यादा कर्ज एमएसएमई सेक्टर को दिया गया है.

सर्वेक्षण के अनुसार आरबीआई की ओर से उठाए गए कदमों के बाद नवंबर महीने में खुदरा महंगाई दर आरबीआई के टॉलरेंस बैंड के नीचे आ गई है. दुनिया की अधिकांश मुद्राओं की तुलना में भारतीय करेंसी डॉलर के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रही है. हालांकि, सर्वेक्षण में यह चिंता जताई गई है कि चालू खाता घाटा बढ़ सकता है क्योंकि दुनियाभर में कीमतें बढ़ रही हैं.

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत के पास पर्यात विदेशी मुद्रा भंडार है जिससे कि चालू खाते के घाटे को वित्त पोषित किया जा सकता है. रुपये के उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के उद्देश्य से भी यह पर्याप्त है.

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