खुशखबरी : अगर खेती से कमाना चाहते हैं मोटा पैसा, तो तुरंत बो दें ये फसल, लाखों का होगा फायदा, जानवर भी नहीं करते नुकसान

 
खुशखबरी : अगर खेती से कमाना चाहते हैं मोटा पैसा, तो तुरंत बो दें ये फसल, लाखों का होगा फायदा, जानवर भी नहीं करते नुकसान

Peppermint Farming: पिपरमेंट की खेती की अच्छी पैदावार करके किसान कुछ ही महीनों में मोटा मुनाफा भी कमा लेते हैं. इस फसल का पशु भी नुकसान नहीं करते और आस पास भी बहु खुशबू रहती है.आइए जानते हैं इस खेती के बारे..

पिपरमेंट की खेती (Peppermint Farming)

पिपरमेंट को देसी भाषा में मेंथा (Mentha) भी कहा जाता है, जो कैश क्रॉप फसल की श्रेणी में आती है. इस श्रेणी में आने वाली फसलों को बाज़ार में बढ़ रही मांग को ध्यान में रखकर उगाया जाता है, जो बहुत ही कम समय में तैयार हो जाती है। पिपरमेंट का पौधा दिखने में काफी हद तक पुदाना या मिंट की तरह ही लगता है.

पिपरमेंट की खेती (Peppermint Farming) के लिए जनवरी से फरवरी महीने के बीच का समय सबसे बेहतरीन माना जाता है, उस समय पिपरमेंट के पौधों को लगाने के लिए अनुकूल जलवायु रहती है. इस पौधे की खेती के लिए बुलई दोमट या मटियारी दोमट नामक मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे जुताई करके अच्छी तरह से समतल करना होता है.

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मेंथा की खेती की तकनीक

इसके बाद मिट्टी में 20 से 25 टन गोबर से बनी खाद डालनी होती है, ताकि मिट्टी अच्छी तरह से नम और उपजाऊ हो जाए. इसके बाद तैयार मिट्टी में पिपरमेंट के पौधों की रोपाई की जाती है और उसके तुरंत बाद खेत को हल्के पानी से सिंचना बेहद जरूरी होता है.

पिपरमेंट के खेत में जल जमाव नहीं होना चाहिए, इसलिए अगर आप इस पौधे की खेती करना चाहते हैं तो खेत से जल निकासी की पहले से ही अच्छी व्यवस्था कर लें। पिपरमेंट के खेती पहाड़ी या ठंडी जगहों पर नहीं की जा सकती है, क्योंकि उन इलाकों में पाला और बर्फ गिरने की समस्या रहती है.

ऐसे में उन जगहों पर पिपरमेंट का पौधा अच्छी तरह से पनपन नहीं पाता है, जिसकी वजह से किसान को खास फायदा नहीं होगा। हालांकि पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च से अप्रैल के बीच पिपरमेंट की खेती की जा सकती है, इस दौरान वहाँ की जलवायु ठीक ठाक होती है.

पिपरमेंट के पौधे (Peppermint Plant) को एक कतार में लगाया जाता है, जिसमें एक पौधे को दूसरे पौधे से लगभग 45 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाया जाता है. वहीं प्रत्येक कतार की औसत दूरी 60 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए, ताकि पिपरमेंट के पौधों को विकसित होने के पर्याप्त जगह मिल सके.

पिपरमेंट की फसल मात्र 40 से 50 दिन के अंदर तैयार हो जाती है, जिसके बाद उसके पौधों की पहली कटाई 100 दिनों के अंदर कर दी जाती है। वहीं पिपरमेंट पौधों की दूसरी कटाई पहली कटाई के बाद 60 से 70 दिनों के बीच में हो जानी चाहिए, क्योंकि इसके बाद पिपरमेंट के पौधे सूखने लगते हैं और उसने अच्छी मात्रा में तेल नहीं निकल पाता है।

बाजार में पिपरमेंट तेल की मांग

पिपरमेंट की खेती (Peppermint Farming) करना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बाज़ार में इस पौधे से निकलने वाले तेल की मांग बहुत ज्यादा है, जिसकी वजह से यह पौधा और भी कीमती हो जाता है. अगर आप 1 बीघा जमीन में पिपरमेंट की खेती करते हैं, तो उसके पौधों से लगभग 20 से 25 लीटर या उससे ज्यादा तेल निकल सकता है.

भारतीय बाज़ार में एक लीटर पिपरमेंट तेल की कीमत लगभग 2 हजार से 3 हजार रुपए के बीच है, ऐसे में किसान 20 से 25 लीटर तेल बेचकर अच्छा खासा मुनाफा कमा सकते हैं। पिपरमेंट की खेती से लेकर उसकी पेराई में प्रत्येक पौधे पर लगभग 500 रुपए लागत आती है, जबकि मार्केट में पिपरमेंट तेल की कीमत लागत से दोगुना ज्यादा है. पिपरमेंट की फसल को दो बार काटकर उससे तेल निकाला जा सकता है, जिससे किसानों को अच्छा खासा मुनाफा हो जाता है. इस खबर को किसान हित सामान में जरूर करें.

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