Old Pension Scheme: ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए प्रदेश सरकार देगी बड़ी सौगात, 800 करोड़ होंगे खर्च, तैयार हुआ फार्मूला

 
Old Pension Scheme: ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए प्रदेश सरकार देगी बड़ी सौगात, 800 करोड़ होंगे खर्च, तैयार हुआ फार्मूला

Old Pension Scheme: हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) देने के लिए इस साल करीब 800 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वक्त में इसका बजट और बढ़ जाएगा। यह मालूम रहे कि प्रदेश में नई पेंशन स्कीम वाले इस साल 1500 से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त होने हैं। वहीं, हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) को लागू करने का फार्मूला छत्तीसगढ़ से मिलता-जुलता हो सकता है।  राज्य सरकार के वित्त विभाग की अधिसूचना के बाद ही इस संबंध में स्थिति स्पष्ट हो सकती है।

राज्य सरकार ने एक अप्रैल 2022 से पहले नियुक्त कर्मचारियों को एनपीएस में बने रहने या पुरानी पेंशन योजना में शामिल होने का विकल्प दिया था। इसके लिए कर्मचारियों से वहां शपथ पत्र भी मांगा जा रहा है। यदि कोई कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना का विकल्प चुनता है, तो उसे 1 नवंबर 2004 से 31 मार्च 2022 तक सरकार के योगदान और लाभांश को एनपीएस खाते में राज्य सरकार को जमा करना पड़ता है।

वहीं, सरकारी कर्मचारियों को इस अवधि के दौरान एनपीएस में जमा कर्मचारी अंशदान और लाभांश एनपीएस नियमों के तहत देने की व्यवस्था की गई है। हालांकि, यह तो छत्तीसगढ़ की व्यवस्था है, पर मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हिमाचल का अपना सर्वश्रेष्ठ मॉडल बताया है तो इससे लग रहा है कि यह छत्तीसगढ़ के मॉडल से कुछ भिन्न भी हो सकता है।

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कर्मचारियों और पेंशनरों पर 100 में से खर्च हो रहे 35 से 40 रुपये 


हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों और पेंशनरों पर कुल बजट के 100 में से 35 से 40 रुपये खर्च हो रहे हैं। ऐसे में आने वाले वक्त में यह खर्च और भी बढ़ सकता है।

क्या है नई पेंशन ?


नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते का 10 फीसदी हिस्सा कटता है। इसमें सरकार की ओर से 14 फीसदी की हिस्सेदारी दी जाती है। इस स्कीम के तहत सेवानिवृत्ति पर पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40 फीसदी निवेश करना होता है। सेवानिवृत्ति के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती। एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है। इसमें महंगाई भत्ते का प्रावधान शामिल नहीं है। सेवा के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके परिजनों को कुल वेतन का 50 फीसदी पेंशन के तौर पर देने का प्रावधान है। 

पुरानी पेंशन योजना में ये हैं प्रावधान

  • इस योजना में सेवानिवृत्ति के समय कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।
  • कर्मचारी के वेतन से कोई पैसा नहीं कटता है। भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है।
  • 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है। सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन राशि मिलती है।
  • पुरानी योजना में जनरल प्रोविडेंट फंड यानी जीपीएफ का प्रावधान है। इसमें महंगाई भत्ते को भी शामिल किया जाता है। 

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