Bullet Train vs Vande Bharat: ट्रेन को भारत की लाइफ लाइन कहा जाता है. हर दिन करोड़ों लाखों लोग इससे अपना आरामदायक सफर पूरा करते हैं. इसलिए Indian Railways यात्रियों की सुविधा के लिए लगातार अपग्रेड करते हुए नई ट्रेन को ला रहा है. इसी के लिए देश में वंदे भारत ट्रेन के संचालन को शुरू कर दिया गया है. इस ट्रेन को देश की हाईस्पीड ट्रेन माना जाता है. फिलहाल 4 रूटों पर इस ट्रेन का संचालन किया जा रहा है लेकिन जल्द ही कई अन्य रूटों पर भी वंदे भारत ट्रेन का संचालन शुरू कर दिया जाएगा. आइए इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं
Bullet Train से इन मायनों में खास है वंदे भारत
आपको बता दें कि जल्द ही वंदे भारत ट्रेन से हजारों किमी का सफर कुछ ही घंटों में तय किया जा सकेगा.आपको जल्द ही देश में सैंकड़ों वंदे भारत ट्रेन चलती हुई नज़र आने वाली हैं. क्योंकि सरकार देश में वंदे भारत ट्रेन के संचालन पर ज़ोर दिया जा रहा है. वहीं वंदे भारत ट्रेन को बुलेट ट्रेन से भी ज्यादा खास बताया जा रहा है. बुलेट ट्रेन को शून्य से 100 किमी की रफ्तार तक पहुँचने में 55.4 सेकेंड का समय लगता है जबकि वंदे भारत को मात्र 52 सेकेंड का समय लगता है.

वंदे भारत ट्रेन में 16 कोच हैं और इसके 5 कोच में मोटर लगी हुई है जो इसे रफ्तार से चलाने में मदद करती है जबकि बुलेट ट्रेन में सिर्फ आगे इंजन में एक मोटर होती है जो इसकी स्पीड को बढ़ाने में मदद करती है.अभी 4 रूटों पर इस ट्रेन को चलाया जा रहा है जिनकी गति 160 किमी प्रतिघंटा है. इसके बाद 2025 तक इस ट्रेन की स्पीड को 260 किमी प्रतिघंटे कर दिया जाएगा.
दोनों की अधिकतम स्पीड की बात करें तो वंदे भारत 180 किमी प्रति घंटे की स्पीड से गंतव्य तक पहुंच सकती है. वहीं, बुलेट ट्रेन की स्पीड को लेकर 320 किलोमीटर प्रति घंटे का दावा किया गया है.
Vande Bharat को मिली इतनी रेटिंग
वंदे भारत की रेटिंग की बात करें तो यह गुणवत्ता और सवारियों की सुविधा (पैसेंजर इंडेक्स) श्रेणी में 3.2 रेटिंग हासिल है. वहीं, इसे विश्व स्तर पर 2.9 रेटिंग मिली हुई है. धूल रहित स्वच्छ वायु कूलिंग सिस्टम इसे और खास बनाता है. नई वंदे भारत में शुद्ध हवा के लिए फोटो-कैटेलिटिक अल्ट्रा वायलेट एयर प्यूरीफिकेशन सिस्टम लगाया गया है.
बता दें कि वंदे भारत एक्सप्रेस किसी भी इंपोर्टेड ट्रेन के मुकाबले 40% कम खर्च में बनी है. इसकी पहली रैक बनाने पर 100 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. इसे तैयार करने में 18 महीने से भी कम समय लगा.