Internet Banking: IMPS और MMID का क्यों होता है इस्तेमाल? जानें बैंकिंग टिप्स
Internet Banking: डिजिटल इंडिया की पहल के साथ ई-कॉमर्स सेक्टर में तेजी आई है। अब लोग बैंक के चक्कर कम लगाते हैं क्योंकि ज्यादातर काम इंटरनेट बैंकिंग से हल हो जाते हैं। स्मार्टफोन के आने से मोबाइल एप्लीकेशन के जरिये स्टेटमेंट से लेकर ट्रांजेक्शन चुटकियों में हो जाते हैं। इंटरनेट बैंकिंग के कुछ ऐसे शॉर्टकट हैं जिसे समझना बेहद जरूरी है।
Internet Banking में IMPS और MMID का क्या रोल है?
भारतीय बैंकिंग सिस्टम में ‘IMPS’ का मतलब तत्काल भुगतान सेवा है। जैसे नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT) और रियल–टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) है। उसी तरह IMPS इंस्टेंट मनी ट्रांसफर मैकेमैकेनिज़म है। NEFT और RTGS की तुलना में IMPS की एक खास विशेषता है। इसके माध्यम से फंड तत्काल ट्रान्सफर किया जा सकता है। इसके जरिये किसी भी खाताधारक को तुरंत 10 सेकेंड में पैसे भेज सकते हैं।
RBI और NPCI ने IMPS सिस्टम को 24 घंटें फंड ट्रांसफर मैकेनिज्म के रूप में लागू किया। इस सिस्टम को उन्होंने ऑनलाइन और मोबाइल बैंकिंग प्लेटफ़ॉर्म दोनों के अनुसार बनाया। जब ग्राहक मोबाइल बैंकिंग का उपयोग करके IMPS माध्यम से पैसे ट्रांसफर करते हैं, तो ट्रांजेक्शन को वेरिफाई करने और सुरक्षित करने के लिए मोबाइल मनी आइडेंटिफ़ायर MMID का उपयोग किया जाता है।
मोबाइल बैंकिंग रजिस्टर्ड ग्राहकों के लिए जारी किया गया एक यूनिक 7 डिजिट का कोड MMID है। जो IMPS फंड ट्रांसफर प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से ट्रांजेक्शन करना चाहते हैं। IMPS सर्विस में MMID कोड में पहले 4 डिजिट बैंक के अलग–अलग आईडी नंबर है। IMPS द्वारा किया जा रहे ट्रान्सफर की सुरक्षा के लिए MMID जैसे सुरक्षा उपायों की आवश्यकता होती है। इस तरह आपका इंटरनेट बैंकिंग सेफ रहता है।
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