Kisan Vikas Patra: 1 जनवरी से बदले इस योजना के नियम, जानें आपको फायदा होगा या नुकसान?

 
Kisan Vikas Patra: 1 जनवरी से बदले इस योजना के नियम, जानें आपको फायदा होगा या नुकसान?

Kisan Vikas Patra: सरकार ने 1जनवरी से पोस्ट ऑफिस फिक्स्ड डिपॉजिट योजना, एनएससी और सीनियर सिटिजन बचत योजना सहित लघु बचत जमा योजनाओं (Small Saving Schemes) पर ब्याज दरों में 1.1 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की है। इसी कड़ी में किसान विकास पात्र की ब्याज दरों में भी बढ़ोतरी हुई है। KVP इंडियन पोस्ट ऑफिस (Indian Post Office Scheme) की एक खास स्कीम है। लोग भरोसा करके इस स्कीम में निवेश करना पसंद करते हैं, क्योंकि इसमें कोई जोखिम नहीं है। कोई भी वयस्क नागरिक इसमें अपना अकाउंट खुलवा सकता है. आप चाहें तो 3 लोगों के नाम पर जॉइंट अकाउंट भी खुलवा सकते हैं।

कितनी है Kisan Vikas Patra में ब्याज दर?

स्माल सेविंग्स स्कीम में हर तीन महीने यानी तिमाही आधार पर ब्याज दरें तय की की जाती हैं। हाल ही में सरकार ने पैसे डबल होने की अवधि को भी कम किया था. किसान विकास पत्र में निवेश पर पहले 7.0 फीसदी की दर से ब्याज मिलता था. लेकिन अब इसमें 20 बेसिस की बढ़ोतरी 7.2 कर दिया है.

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Kisan Vikas Patra: 1 जनवरी से बदले इस योजना के नियम, जानें आपको फायदा होगा या नुकसान?
credit- Pixa

आप इस स्कीम में 1,000 रुपये से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं। इसमें अधिकतम निवेश की कोई लिमिट नहीं है। किसान विकास पत्र में आपकी निवेश राशि वर्तमान ब्याज दर के हिसाब से 120 महीने यानी 10 साल में डबल हो जाती है।

टैक्स छूट मिलेगी क्या?

बैंक बाजार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, किसान विकास पत्र इन्कम टैक्स एक्ट 1961 के तहत आती है। लिहाजा इसमें 80सी के तहत टैक्स में छूट प्राप्त की जा सकती है। अगर आप इस स्कीम में 50,000 रुपये से अधिक का निवेश करते हैं, तो आपको अपने पैन कार्ड की डिटेल्स शेयर करनी होगी। किसान विकास पत्र स्कीम को गांरटी के तौर पर इस्तेमाल कर आप लोन भी ले सकते हैं।

क्या है Kisan Vikas Patra का इतिहास?

इंडियन पोस्ट आफिस ने इस स्कीम को 1988 में लॉन्च किया था।भारत सरकार द्वारा देश में छोटी सेविंग्स को बढ़ावा देने और निवेशकों के सुरक्षित भविष्य के मद्देनजर इस स्कीम को लाया गया था। हालांकि लॉन्च होने के बाद से ही ये स्कीम काफी पॉपुलर रही है, लेकिन 2011 में सरकार ने महसूस किया कि इस स्कीम का मनी लॉन्ड्रिंग के लिए गलत इस्तेमाल किया जा सकता है।

2014 में इस स्कीम को एक बार फिर कई बदलावों के साथ लॉन्च किया गया। इन बदलावों में एक बार में 50 हजार से ज्यादा के निवेश के लिए पैन कार्ड जरूरी किया गया और 10 लाख से ज्यादा के निवेश पर आय के स्रोतों का प्रूफ देने अनिवार्य कर दिया गया।

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