MP Agricultural Scheme: किसानों के लिए खुशखबरी! अब अनाज बेचने की जिम्मेदारी लेंगी ये कंपनियां, जानें कैसे?

 
MP Agricultural Scheme: किसानों के लिए खुशखबरी! अब अनाज बेचने की जिम्मेदारी लेंगी ये कंपनियां, जानें कैसे?

MP Agricultural Scheme:मध्यप्रदेश के किसानों को लेकर गुड न्यूज आई है। अब उन्हें फसल उगाने की, उनकी बुआई की या फिर बेचने की फिक्र करने की जरूरत नहीं है। कुछ प्राइवेट कंपनियां इसकी जिम्मेदारी उठा रही हैं और किसानों को कुछ राहत देने की कोशिश की जा रही है। ये कंपनियां उपज की अच्छी कीमत भी देने को तैयार हैं. किासनों को उद्यानिकी और औषधीय फसलों की खेती को इसके जरिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। कंपनियां बीच उपलब्ध कराने के साथ ही भंडारण की व्यवस्था कराएगी। चलिए आपको मध्यप्रदेश कृषि योजना (MP Agricultural Scheme) के बारे में बताते हैं।

क्या है मध्य प्रदेश कृषि स्कीम?

मध्य प्रदेश में गेहूं और धान जैसी फसलों लाभकारी तरीके से उगाने के लिए जागरुक किया जा रहा है। किसानों को लाभकारी खेसी और उन्मुख करने के लिए फसल विवधीकरण का प्रसार किया जा रहा है. ये सब मध्यप्रदेश कृषि योजना (MP Agricultural Scheme) के तहत होगा। राज्य सरकार ने इस योजना को 20 करोड़ रुपये से शुरू करने की पहल की है। कृषि विविधीकरण योजना के तहत 12 कंपनियां तैयार हुई हैं जिनमें से दो को अनुमति भी मिल चुकी है।

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कृषि विभाग बाकी बची 10 कंपनियों के प्रस्तावों को अंतिम रूप देने को तैयार है। इस योजना के लिए मां अन्नपूर्णा एंड फार्म्स, जयपुर आयो फर्टिलाइजर, आर्टीजन एग्रोटेक, सिद्धि विनायक एग्री प्रोसेसिंग देहात, पतंजलि आर्गेनिक रिसर्च इंस्टीट्यूट, भारुआ एग्री साइंस, फोर लीफ फ्लोवर एग्रो जैसी कंपनियों के नाम शामिल हैं। इन कंपनियों में आइटीसी कंपनी को 2850 हेक्टेयर और ग्रीन एंड ग्रेंस कंपनी को 500 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती करने के लिए परमिशन मिल गई है।

MP Agricultural Scheme: किसानों के लिए खुशखबरी! अब अनाज बेचने की जिम्मेदारी लेंगी ये कंपनियां, जानें कैसे?
image credits: Flickr

इस योजना को करने का उपदेश सिर्फ इतना है कि जिन किसानों को परेशानी होती है बीज लाने में या खेती करने में या फिर अनाज बेचने में तो उससे उन्हें छुटकारा मिल जाएगा। वे कंपनियां किसानों के लिए काम करेंगी और सीधा पैसा किसानों के खातों में जाएगा। इस योजना में किसानों और कंपनी के बीच सहमती के बाद ही खेती करने की अनुमति दी जाएगी। दोनों मिलकर उपज तैयार करेंगे और कंपनी बीज उपलब्ध कराएगी, और कंपनी ही उसे खरीद लेगी। भंडारण और परिवहन की व्यवस्था भी कंपनी ही करेगी।

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