Plastic Ban: देश की बड़ी एफएमसीजी और जूस कंपनियों ने उठाया बड़ा कदम, आम जनता पर पड़ सकती है महंगाई की मार,जानिए क्या रहा कारण?

 
Plastic Ban: देश की बड़ी एफएमसीजी और जूस कंपनियों ने उठाया बड़ा कदम, आम जनता पर पड़ सकती है महंगाई की मार,जानिए क्या रहा कारण?

देश में 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक (SUP) से जुड़े 19 उत्पादों पर बैन लग चुका है। इनके इस्तेमाल और बिक्री को अपराध माना जाएगा और अब कड़ी कार्रवाई हो सकती है। बैन होने वाली सिंगल यूज प्लास्टिक में स्ट्रॉ भी शामिल है। ऐसे में देश की बड़ी एफएमसीजी और जूस कंपनियों के लिए यह Plastic Ban मुश्किलें खड़ी कर रहा है। सिंगल यूज प्लास्टिक बैन में फ्रूटी जैसे प्रोडक्ट के साथ आने वाली स्टॉ भी शामिल हैं। इससे जुड़ी प्रोडक्ट में पेप्सी का ट्रॉपिकाना, डाबर का रियल जूस, कोकाकोला का माजा और पार्ले एग्रो का फ्रूटी शामिल है। इसका एक अंदाजा इसी से लग सकता है कि अकेली Amul हर दिन 10-12 लाख स्ट्रॉ का इस्तेमाल करती है।

Plastic Ban के चलते जूस कंपनियां उठा रही कदम

प्लास्टिक से बने स्ट्रॉ पर 1 जुलाई शुक्रवार से प्रतिबंध लागू होने के साथ ही एफएमसीजी और फलों के जूस एवं डेयरी कंपनियों ने उत्पादों के पैक के साथ कागज से बने स्ट्रॉ की पेशकश की तरफ कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। पार्ले एग्रो, डाबर, अमूल और मदर डेयरी जैसी प्रमुख कंपनियों ने टेट्रा पैक के साथ अब प्लास्टिक स्ट्रॉ की जगह कागज से बने स्ट्रॉ एवं अन्य वैकल्पिक समाधानों की पेशकश करनी शुरू कर दी है।

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सबसे बड़ा बवाल स्ट्रॉ पर

Plastic Ban के चलते सबसे ज्यादा बवाल पेपर स्ट्रॉ पेपर स्ट्रॉ को लेकर हो रहा हैै। सिंगल यूज प्लास्टिक बैन में फ्रूटी जैसे प्रोडक्ट के साथ आने वाली स्टॉ भी शामिल हैं। इससे जुड़ी प्रोडक्ट में पेप्सी का ट्रॉपिकाना, डाबर का रियल जूस, कोकाकोला का माजा और पार्ले एग्रो का फ्रूटी शामिल है। उन्हें अपने सस्ते लोकप्रिय पैक की कीमत बढ़ानी पड़ेगी। प्लास्टिक स्ट्रॉ पर बैन लगा तो कंपनियां 10 रुपये का पैक नहीं बेच पाएंगी। यानि महंगाई का पत्थर उचट कर आम जनता के माथे पर ही लगेगा।

Plastic Ban: देश की बड़ी एफएमसीजी और जूस कंपनियों ने उठाया बड़ा कदम, आम जनता पर पड़ सकती है महंगाई की मार,जानिए क्या रहा कारण?
Image credit: pixabay

कितनी बड़ी है समस्या

सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा उसे कहते हैं जिसका दोबारा इस्तेमाल करना व्यवहारिक नहीं है। यह कचरा लैंडफिल साइटों पर ही रह जाता है। सर्वे में यह भी पाया गया कि रीसाइकलिंग प्लांट दवाइयों और बिस्किट की पैकिंग के पाउच और ट्रे लेने के लिए भी तैयार नहीं होते। स्टडी में पता चला है कि दिल्ली के सिंगल यूज प्लास्टिक वेस्ट में सबसे अधिक मात्रा शैंपू, बॉडी वॉश, पेन, पेट बॉटल, ट्यूब्स आदि की है। यह प्लास्टिक लैंडफिल साइट की मिट्टी, पानी आदि को प्रदूषित कर रही है।

आम लोगों को चुकानी होगी कीमत

कारोबारियों का मानना है कि Plastic Ban पर्यावरण के लिए तो अच्छा कदम है, लेकिन इसका खामियाजा आम उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा। आजकल विकल्प के तौर पर स्टील, गिलास, सिरेमिक, बांस को अपनाया जा रहा है। फिलहाल बाजार में सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्पों की बात करें तो लंगर या फैमिली फंक्शन में यूज आने वाली प्लास्टिक की प्लेट का 50 का सेट 80 से 100 रुपये में मिल जाता है, लेकिन हार्ड कागज की 25 प्लेटों का सेट करीब 250 रुपये में पड़ता है। इसके अलावा गुब्बारों का फिलहाल कोई विकल्प मौजूद ही नहीं है।

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