रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने आज यानि बुधवार को मौद्रिक नीति समीक्षा को लेकर एक बैठक की, जिसमें आरबीआई के गर्वनर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने रेपो रेट बढ़ाने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो कि अब से 0.25% बढ़ाकर 6.50% हो गया है, जबकि इससे पहले यह 6.25% था. हालांकि देखा जाए तो पिछले बार की वुद्धि के हिसाब से यह सबसे कम तेजी है.
मुंबई में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-2024 में रियल GDP ग्रोथ 6.4% की संभावना है, अगले वित्त वर्ष में यह घटकर 5.3 प्रतिशत पर आ जाएगी. इसके अलावा 2023-24 की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति औसतन 5.6% रहने की उम्मीद है.
क्या होता है Repo Rate?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जो अन्य सरकारी बैकों को कर्ज पर पैसा देती है जिसकी एक दर सुनिश्चित की जाती है, जो कि बैंक वालों को देनी होती है. इस दर को ही रेपो रेट कहा जाता है. अब आरबीआई ने अन्य बैकों पर कर्ज की दर में इजाफा किया तो सीधी सी बात है कि बैंक से कर्ज लेने वाले ग्राहकों पर इसकी चोट पड़ेगी.
लोन और EMI पर क्यों होगी महंगी?
रेपो रेट बढ़ने से इसका सीधा असर बैंकों से लोन लेने वालों पर ग्राहकों पर पड़ता है, क्योंकि जब आरबीआई अपने बैंकों को अधिक रेट में कर्ज देगी तो आपका बैंक भी आपसे अधिक ब्याज वसूल करेगा क्योंकि देखा जाए तो पूरा बैंक ब्याज पर ही चलता है. इसलिए रेपो रेट बढ़ने से आपकी ईएमआई भी बढ़ जाती है और आपकी जेब से इसके अधिक पैसे लगने लगते हैं.
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