AICTE Lilavati Awards 2021- विजेताओं को किया गया सम्मानित, केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, महिला सशक्तिकरण समाज की जरूरत है

 
AICTE Lilavati Awards 2021- विजेताओं को किया गया सम्मानित, केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, महिला सशक्तिकरण समाज की जरूरत है

माननीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल “निशंक” ने एआईसीटीई लीलावती पुरस्कार 2020 के विजेताओं को सम्मानित किया

महिला सशक्तिकरण की थीम पर एआईसीटीई लीलावती पुरस्कार 2020 माननीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल “निशंक” ने प्रदान किया

AICTE Lilavati Awards 2021: ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने 11 अप्रैल यानी कि रविवार को नई दिल्ली के वसंतकुंज में स्थित, एआईसीटीई के ऑडिटोरियम में विजेताओं को लीलावती पुरस्कार प्रदान किए. माननीय शिक्षा मंत्री "रमेश पोखरियाल निशंक” ने विजेताओं को सम्मानित किया.

“महिला सशक्तिकरण” की थीम पर आधारित इस पुरस्कार के लिए 456 प्रविष्टियां आई थी, जिन्होंने 6 उपविषयों के तहत प्रतियोगिता दी. इन एंट्रीज में से ही एआईसीटीई ने विजेताओं का चयन किया. इन उपविषयों में महिला स्वास्थ्य, आत्मरक्षा, स्वच्छता और सफाई, साक्षरता, महिला उद्यमिता और कानूनी जागरूकता शामिल थीं.

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प्रारंभिक एंट्रीज के विश्लेषण के बाद हर उपविषय के तहत टॉप 10 एंट्रीज को दो कमिटियों के सामनेअपनी प्रस्तुति देने के लिए आमंत्रित किया गया. इन दोनों कमिटियों की अध्यक्षता हरियाणा के खानपुर कलां स्थित बी. पी. एस. महिला विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सुषमा यादव और बोधगया स्थित आईआईएम की निदेशक डॉ. विनीता एस. सहाय ने की.

तमिलनाडु में सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के एसडब्ल्यूईएटी (सोना महिला एंट्रिप्रिन्योर और ट्रेनिंग) ने “महिला उद्यमिता” के उपविषय के तहत यह प्रतियोगिता जीती. “डिजिटल साक्षरता” की सबथीम में भारतीय विद्यापीठ ने यह प्रतियोगिता जीती.

पुणे के इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड एंट्रीप्रिन्योर डिलेवपमेंट ने “साक्षरता” के उपविषय के तहत यह पुरस्कार प्राप्त किया. महाराष्ट्र के वालचंद इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट से डब्ल्यूआईटी वुमन हेल्थ कोएलिशन टीम ने “महिला स्वास्थ्य” के क्षेत्र में पुरस्कार हासिल किया.

थियागाराजर पॉलिटेक्नीक कॉलेज की रेडिएंट सीता टीम ने “कानूनी जागरूकता” के उपविषय की श्रेणी में यह पुरस्कार अपने नाम किया. तमिलनाडु के सेंट जोसेफ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग ने “आत्मरक्षा” के उपविषय के तहत यह पुरस्कार हासिल करने में सफलता प्राप्त की.

शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने दिया परतियोगियों को बधाई

माननीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ने विजेताओं को सम्मानित करने के बाद सभी प्रतियोगी को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी. उन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाली 456 टीमों को शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि मैं इस प्रतियोगिता में पुरस्कार जीतने वाले सभी विजेताओं को बधाई देता हूं. महिला सशक्तिकरण समाज की जरूरत है और एआईसीटीई की ओर से की गई इस तरह की पहल विशेष तारीफ की हकदार है.

उन्होंने लीलावती पुरस्कारों के गठन के लिए एआईसीटीई की पहल की तारीफ की और जोर देकर कहा कि इस तरह के नए-नए कदम लड़कियों को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित करेंगे.

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में लैंगिक समानता पर खासा जोर दिया गया है: निशंक

पोखरियाल ने आगे जोड़ा, “नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में लैंगिक समानता पर खासा जोर दिया गया है. इस तरह की पहल में हिस्सा लेकर छात्रों को महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति एकेडेमिक क्रेडिट बैंक के साथ स्टूडेंट्स को शिक्षा हासिल करने के लिए छात्रों को पर्याप्त लचीलापन और आजादी देती है. एकेडेमिक क्रेडिट बैंक छात्रों की योग्यता और क्षमता के अनुसार ही उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने की अनुमति देता है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति हर किसी को शिक्षा के अलग-अलग क्षेत्रों में व्यापक विकल्प मुहैया कराती है."

एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्त्रबुद्धे ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री का किया धन्यवाद

एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्त्रबुद्धे ने डॉ. पोखरियाल को अपने बिजी शेड्यूल से समय निकालकर समारोह में शामिल होने के लिए धन्यवाद किया. सहस्त्रबुद्धे ने कहा, “मैं माननीय शिक्षा मंत्री श्री "रमेश पोखरियाल निशंक” को अपने व्यस्त शेड्यूल से समय निकालकर इवेंट में शामिल होने के लिए धन्यवाद देता हूं. एआईसीटीई इस साल का लीलावती पुरस्कार देश में महिलाओं के सशक्तिकरण के लक्ष्य पर केंद्रित कर पेश करने पर बेहद प्रसन्न है."

भारत को महिलाओं का सम्मान करने वाला देश माना जाता है: प्रो. सहस्त्रबुद्धे

प्रो. सहस्त्रबुद्धे ने आगे और लोगों को बधाई दिया जिन्होंने अपनी प्रविष्टियों को इस प्रतियोगिता के लिए जमा किया. उन्होंने कहा, "भारत को महिलाओं का सम्मान करने और महिलाओं की प्रतिष्ठा का जश्न मनाने वाले देश के रूप में जाना जाता है. इस तरह की पहल से एआईसीटीई देश में महिलाओं का सशक्तिकरण करने के लिए अपनी ओर से योगदान दे रहा है."

एआईसीटीई के उपाध्यक्ष डॉ. एम. पी. पूनिया ने जोर देकर कहा कि इस तरह की पहल से देश में महिलाओं को सशक्त किया जा सकता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि लैंगिक समानता आजकल के आधुनिक समाज की सबसे बड़ी जरूरत है.

भारत जैसे देश में महिलाओं का सशक्तिकरण सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है: प्रो. पुनिया

पूनिया ने कहा, “भारत जैसे देश में महिलाओं का सशक्तिकरण सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है. लीलावती पुरस्कार जैसी कुछ पहलों से लैंगिक समानता की जरूरत के लिए लोगों को जागरूक किया जा सकता है। इससे देश की महिलाएं निश्चित रूप से ताकतवर बन सकेंगी.“

एआईसीटीई के सदस्य सचिव प्रोफेसर राजीव कुमार ने कहा कि लीलावती पुरस्कार जैसी पहल समाज में महिलाओं को आगे आने में मदद कर सकती हैं.

456 एंट्रीज में सबसे ज्यादा हकदार टीमों को 2020 का लीलावती पुरस्कार प्रदान किया गया: राजीव कुमार

राजीव कुमार ने बताया, “456 एंट्रीज में सबसे ज्यादा हकदार टीमों को 2020 का लीलावती पुरस्कार प्रदान किया गया. इसका यह मतलब नहीं कि केवल विजेता टीम ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया. सभी 456 प्रविष्टियां किसी न किसी तरीके से अच्छी थी. हमने उनमें से सबसे बेहतर का चुनाव किया। मैं उन सभी टीमों और विजेताओं को बधाई देता हूं, जिन्होने अपनी प्रविष्टियों को जमा किया."

तमिलनाडु में सोना कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी की एसडब्ल्यूईएटी (सोना वुमन एंट्रिप्रिन्योर एंड ट्रेनिंग) ने कहा कि उद्यमिता केवल पुरुषों तक सीमित नहीं है.

भारत में उद्यमिता केवल पुरुषों तक सीमित है: एसडब्ल्यूईएटी

एसडब्ल्यूईएटी की टीम के सदस्यों ने कहा, “भारत में एक गलत धारणा है कि उद्यमिता केवल पुरुषों तक सीमित है. हालांकि यह सही नहीं है. अगर महिलाओं को मौका और अवसर मिले तो महिलाएं भी उद्यमियों के रूप में अपनी काबिलियत का लोहा साबित कर सकती है. हमें विश्वास है कि बिजनेस की दुनिया में भारत का भविष्य महिलाओं और पुरुषों दोनों में समान रूप से विभाजित है."

डिजिटल साक्षरता के उपविषय के तहत पुरस्कार जीतने वाली भारतीय विद्यापीठ ने सुझाव दिया कि 2014 के बाद भारत में इंटरनेट के क्षेत्र में हुई क्रांति ने देश में महिलाओं को सशक्त करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

2014 के बाद भारत में इंटरनेट की क्रांति से महिलाओं का हुआ विकास: भारतीय विद्यापीठ

भारतीय विद्यापीठ की टीम के सदस्यों ने कहा, “2014 के बाद भारत में इंटरनेट की क्रांति हुई और इस क्रांति ने देश में महिलाओं का विकास करने में मदद की. अब सूचना और जानकारी उनके हाथों की उंगलियों पर है. हालांकि अब भी हमारे देश में कई ऐसी महिलाएं हैं, जो पर्याप्त रूप से डिजिटली साक्षर नहीं है. हमें उनको भी समाज की अग्रिम पंक्ति में लाना होगा."

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