Shahjahan को परोसा जाता था इस खास प्लेट में भोजन, जानें इसका नाम और खासियत

 
Shahjahan को परोसा जाता था इस खास प्लेट में भोजन, जानें इसका नाम और खासियत

Shahjahan Plate: मुगल शासकों की दुनिया भी अजीब हुआ करती थी. गद्दी के लिए अपने ही अपनों का कत्ल करवाने से नहीं कतराते थे. अपनों से ही जान का खतरा होने की आशंका पर मुगल शासक काफी सावधानी बरतते थे.इसी कड़ी में उनके खाने को लेकर भी काफी सावधानी बरती जाती थी ताकि उनके खाने में कोई जहर ना मिला दे.आगरा के ताज म्यूजियम में खाने की एक बेहद खास प्लेट रखी हुई है. जिसके अंदर जहर मिला खाना डालते ही उसका रंग बदल जाता था.

किसकी है ये प्लेट?

गर्म खाने को गर्म या ठंडे पेय को ठंडा रखनेवाले बर्तन तो आप भी यूज करते होंगे, लेकिन किसी बर्तन की ऐसी विशेषता के बारे में शायद आपने पहले नहीं सुना-जाना होगा! ताज म्यूजियम में रखी यह प्लेट मुगल बादशाह शाहजहां के लिए बनवाई गई थी.

इस प्लेट का नाम है- जहर परख रकाबी यानी जहर की पहचान करनेवाली तश्तरी. बता दें कि प्लेट के ऊपर इसके बारे में डिटेल में लिखा हुआ है कि चीनी मिट्टी से बना यह बर्तन विषाक्त भोजन परोसने से रंग बदल लेता है या फिर टूट जाता है.

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Shahjahan को परोसा जाता था इस खास प्लेट में भोजन, जानें इसका नाम और खासियत

Shahjahan को किन्नर परोसते थे भोजन

सलमा युसूफ हुसैन की एक किताब है- ‘द मुगल फीस्ट: रेसिपीज फ्रॉम द किचन ऑफ एम्परर शाहजहां’. इसमें उन्होंने बताया है कि मुगल बादशाह आमतौर पर अपनी रानियों और हरम में रहने वाली स्त्रियों के साथ भोजन किया करते थे. वहीं उत्सव के अवसरों को छोड़कर वह रईसों और खास दरबारियों के साथ भोजन करते थे. उन्हें भोजन आमतौर पर किन्नर पररोसते थे.

चावल के दानों पर लपेटा जाता था चांदी का वर्क

शाहजहां के लिए खाने का मेनू शाही हकीम तय करते थे. उसी मेनू के अनुसार शाही रसोई में खाना बना करता था. पुलाव के चावल के प्रत्येक दाने पर चांदी का वर्क लेपा जाता था. ऐसा मेनू तय करने के पीछे हकीम का तर्क था कि चांदी के लेप वाले चावल से पाचन क्रिया सही रहती है और ऐसे चावल से बना व्यंजन कामोत्तेजना बढ़ाने में कारगर होता है. हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है, इसका प्रमाण उपलब्ध नहीं है.

Shahjahan ने जीवन के आखिरी बरस बिताए कैद में

शाहजहां ने अपने जीवन के आखिरी कुछ बरस बहुत कष्ट में बिताए. गद्दी की खातिर बेटे औरंगजेब ने उन्हें आगरा के किले में कैद करवा दिया था. पूरे आठ साल तक वो कैदखाने में रहे. 1666 में शाहजहां की मृत्यु हो गई. कहा जाता है कि औरंगजेब ने ऐसा आदेश दिया था कि उनके पिता शाहजहां को कैदखाने में उनकी पसंद की केवल एक ही डिश दी जाए. ऐसे में शाहजहां ने छोले को चुना था.

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