Village of IAS Officers: IAS और IPS की फैक्ट्री है ये जगह, जानें कहां है ये गांव और क्या है इसका इतिहास?

 
Village of IAS Officers: IAS और IPS की फैक्ट्री है ये जगह, जानें कहां है ये गांव और क्या है इसका इतिहास?

Village of IAS Officers:  दिल्ली को भारत का यूपीएससी सिविल सेवा तैयारी केंद्र कहा जाता है. लेकिन ईस्ट यूपी के एक छोटे से गांव से सिविल सर्वेंट भारत में किसी भी अन्य जगह की तुलना में बहुत ज्यादा हैं. वहां अधिकारियों की संख्या इतनी ज्यादा है कि गांव में किसी भी त्योहार के टाइम जगह लाल और नीली बत्ती वाली कारों से भर जाती है. आइए आज जानते हैं अफसरों का गांव कहे जाने वाले इस गांव की सफलता की कहानी के बारे में....

माधो पट्टी (Village of IAS Officers)

आपको बता दें कि ईस्ट यूपी के इस गांव का नाम माधो पट्टी है. माधो पट्टी नाम के इस गांव में 75 परिवार रहते हैं जिनमें से 47 में आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, आईआरएस अधिकारी हैं.हैरानी की बात है कि इस गांव में अधिकारियों या उम्मीदवारों को बनाने के लिए कोई कोचिंग या सुविधा नहीं है, लेकिन जैसा कि वे कहते हैं, प्रेरणा हमेशा सबसे ऊपर होती है.

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Village of IAS Officers: IAS और IPS की फैक्ट्री है ये जगह, जानें कहां है ये गांव और क्या है इसका इतिहास?
Image credit: upsc.gov.in

गांव के पुरुष ही नहीं बल्कि गांव की महिलाएं, बेटियां और बहुएं भी IAS अधिकारी बनी हैं. 1980 में आशा सिंह आईएएस अधिकारी बनीं. इसके बाद 1982 में उषा सिंह और क्रमशः 1983 और 1994 में इंदु सिंह और सरिता सिंह का स्थान रहा.

1914 में पहली बार बना कौई व्यक्ति अधिकारी

1914 में मुस्तफा हुसैन ने गांव के पहले अधिकारी के रूप में इस लकीर की शुरुआत की थी. वे 1914 में अधिकारी बने. 1951 में इंदु प्रकाश दूसरे अधिकारी थे. उन्होंने 1951 में यूपीएससी की परीक्षा पास की और सेकेंड टॉपर का खिताब हासिल किया. इसके बाद 1953 में विद्या प्रकाश और विनय प्रकाश ने सीएसई क्वालिफाई किया.

Village of IAS Officers: IAS और IPS की फैक्ट्री है ये जगह, जानें कहां है ये गांव और क्या है इसका इतिहास?
Image Credit: Facebook/ IAS Association

फिर आया 5 आईएएस अधिकारियों का परिवार

यह 1995 की बात है जब माधो पट्टी के एक परिवार ने एक रिकॉर्ड बनाया था. परिवार में सबसे बड़े बेटे विनय सिंह ने यूपीएससी सिविल सेवा पास की और आईएएस बने. रिटायरमेंट के समय वे बिहार के प्रधान सचिव थे.एक ही परिवार के भाई छत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह, जिन्होंने 1964 में IAS अधिकारी बनने के लिए सिविल सेवा परीक्षा पास की. सबसे छोटे भाई, शशिकांत सिंह भी 1968 में IAS अधिकारी बने.अब रिकॉर्ड शशिकांत सिंह के बेटे यशस्वी सिंह द्वारा बढ़ाया गया है जिन्होंने 2002 सीएसई में 31वीं रैंक हासिल की थी.

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