योगी सरकार का बड़ा निर्णय, राज्य के स्कूलों में फीस बढ़ाने पर लगी रोक

 
योगी सरकार का बड़ा निर्णय, राज्य के स्कूलों में फीस बढ़ाने पर लगी रोक

UP Schools: देश में बढ़ते कोरोना मामलो के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. योगी सरकार ने राज्य के स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों और उनके अभ्भावकों को बड़ी राहत पहुंचाई है. दरअसल,सूबे की सरकार ने सभी बोर्ड के स्कूलों को शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए फीस बढ़ाने पर रोक लगा दिया है. सरकार का यह आदेश प्रदेश में संचालित सभी निजी एवं सरकारी विद्यालयों पर लागू होगा.

राज्य के उपमुख्यमंत्री और माध्यमिक शिक्षा मंत्री दिनेश शर्मा ने सभी जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि विद्यालय बन्द रहने की अवधि में छात्रों को परिवहन शुल्क में छुट दी गई है. वही 3 माह की अग्रिम फीस देने में परेशानी होने पर छात्रों द्वारा मासिक फीस भी दिया जा सकता है.

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उपमुख्यमंत्री ने कहा कि "यूपी के स्कूल इस सेशन में फीस नहीं बढ़ा सकेंगे,स्कूल में ऑफलाइन परीक्षा नहीं हो रही है तो परीक्षा फीस भी नहीं लिया जाएगा, खेल, लैब, लाइब्रेरी, कम्प्यूटर, वार्षिक फंक्शन जैसी गतिविधियां नहीं हो रही हैं तो उनका शुल्क भी नहीं लिया जा सकेगा."

शर्मा ने आगे कहा कि महामारी के कारण कई परिवार आर्थिक रूप से प्रभावित हुए हैं. स्कूल बंद हैं, लेकिन बच्चों की ऑनलाइन क्लास जारी है. इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है कि आम जनता पर कोई अतिरिक्त बोझ न पड़े, साथ ही स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को नियमित भुगतान सुनिश्चित किया जाए."

प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को वेतन देगी सरकार

इस बीच, उत्तर प्रदेश सरकार ने भी आखिरकार हजारों नवनियुक्त सहायक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को वेतन देने का फैसला किया है. राज्य सरकार उनके शैक्षिक प्रमाणपत्रों की प्रामाणिकता का लिखित वचन लेकर वेतन का भुगतान करेगी.

अपर मुख्य सचिव (बुनियादी शिक्षा) रेणुका कुमार ने महानिदेशक (स्कूली शिक्षा) विजय किरण आनंद को शीघ्र वेतन भुगतान के निर्देश दिए हैं. सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि वेतन में देरी विश्वविद्यालयों द्वारा मार्कशीट के सत्यापन की धीमी गति के कारण हुई.

अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार की ओर से जारी आदेश के अनुसार स्कूल शिक्षा की महानिदेशक रेणुका कुमार को शिक्षकों से डिक्लेरेशन लेकर उनका वेतन बांटने को कहा गया है. इसमें शिक्षकों को शपथ पत्र देना होगा कि सत्यापन प्रक्रिया में उनके दस्तावेज फर्जी पाए गए तो उनकी नियुक्ति रद्द हो जाएगी और वे वेतन को सरकारी खजाने में वापस कर देंगे.

बता दें कि राज्य सरकार ने अक्टूबर और दिसंबर में सरकारी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की थी.

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