Amrish Puri Birth Anniversary: जानें अमरीश पुरी के लाइफ चेंजिंग बेस्ट डायलॉग
आज बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर अमरीश पुरी (Amrish Puri) की 89वीं बर्थ एनिवर्सरी है. अमरीश पुरी का जन्म 22 जून 1932 में ब्रिटिश इंडिया के नवांशहर पंजाब में हुआ था.
अमरीश पुरी ने फिल्मी करियर की शुरुआत साल 1970 में प्रेम पुजारी से की थी. साल 2005 में रिलीज हुई Kisna: The Warrior Poet अमरीश पुरी की आखिरी फिल्म थी.
दर्सल ब्लड कैंसर की वजह से साल 2005 में अमरीश पुरी का निधन हो हो गया था. अमरीश पुरी ना सिर्फ अपनी एक्टिंग बल्कि दमदार डायलॉग की वजह से सिनेमा प्रेमियों के दिलों में जिंदा हैं.
ऐसे में आज हम उनकी 89वीं जयंती पर लेकर आए हैं उनके कुछ दमदार डायलॉग. इनमें से कुछ डायलॉग तो ऐसे हैं कि अगर आप उन पर अमल कर लें तो जिंदगी भी बदल सकती है.
1: मोगैंबो खुश हुआ (मिस्टर इंडिया,1987)
2: जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी (दिल वाले दुल्हनियां ले जाएंगे, 1995)
3: पैसे के मामले में मैं पैदाइशी कमीना हूं, दोस्ती और दुश्मनी का क्या, अपनो का खून भी पानी की तरह बहा देता हूं (करन अर्जुन 1995)
4: कोई भी झूठ इतना महान नहीं होता कि जिसके सामने सर झुकाया जाए (झूठ बोले कौव्वा काटे, 1998)
5: ये अदालत है, कोई मंदिर या दरगाह नहीं जहां मन्नतें और मुरादें पूरी होती हैं, यहां धूप बत्ती और नारियल नहीं,बल्कि ठोस सबूत और गवाह पेश किए जाते हैं। (दामिनी, 1993)
6: थप्पड़ तुम्हारे मुंह पर पड़ा है और निशान मेरे गाल पर छपा है (विश्वात्मा, 1992)
7: आदमी को अपनी हैसियत में रहना चाहिए, दूसरों की दया पर जीने को जीना नहीं कहते (झूठ बोले कौव्वा काटे, 1998)
8: ऊपर वाले ने ये दिल पत्थर का बनाया है, इसे शॉक तो लग सकता है, लेकिन कभी स्टॉप नहीं हो सकता (मुकद्दर का बादशाह, 1990)
9: गलती एक बार होती है, दो बार होती है, तीसरी बार इरादा होता है (इरादा, 1991)
10: पॉल्युशन, पॉपुलेशन और करप्शन, ये तीनों बिमारियां कपूत बेटों की तरह इस देश को खा जाएंगी (झूठ बोले कौव्वा काटे, 1998)