जब 'कॉफ़ी विद करन' में बेटी श्वेता ने जया बच्चन के परवरिश पर उठाया था सवाल
'लड़की हूं लड़ सकती हूं' कांग्रेस की प्रियंका गांधी जब से इस नारे को अपने पोस्टर पर लिखी है तब से देश में महिला सशक्तिकरण पर बहस चल चुका है।
इसी संदर्भ में एक कहानी कॉफी विद करण की याद आती है जब अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन अपनी बेटी श्वेता के साथ आई थीं।
बातचीत के दौरान करण के बहुत सारे सवालों के बीच में ही एक सवाल परवरिश पर आ टिका फिर जैसा कि माता-पिताओं की आदत होती है थोड़ा झूठ बोलने की कि हम बहुत लिबरल हैं, बेटे बेटियों में फ़र्क नहीं करते, हमारी नज़र में दोनों बराबर हैं आदि आदि।
जया भी बोल बेटी की हमने अभिषेक और श्वेता में कोई फ़र्क नहीं किया। दोनों को बराबर प्यार किया। दोनों को हर तरह की छूट थी। कभी भी किसी वक्त किसी को किसी से ज्यादा प्यार नहीं किया है।
बस तभी श्वेता तपाक से बोल पड़ीं-'चुप रहो मां। तुमने अभिषेक को हमेशा मुझसे ज़्यादा प्यार किया है।'
जया का चेहरा तुरंत उतर गया। कुछ सेकेंड के लिए सब कुछ खामोश हो गया। असल में स्त्रियां जबतक चुप हैं तभी तक परिवार चल रहे हैं जिसदिन वे बोलने लगीं कि परिवारों के चेहरे ऐसे ही उतरेंगे जैसा कि जया का उतरा। परिवार स्त्रियों की नींव पर टिका हुआ है।
जब भी किसी 'योग्य बहन' को 'अयोग्य भाई' पर न्योछावर किया जाएगा बहनें ऐसे ही 'लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ' कहेंगी। इसे परोक्ष संवाद की तरह देखिए क्योंकि बकौल फ्रॉयड व्यक्ति जो जीता है अपने कर्म में उसी को रिफ्लेक्ट करता है।