Aaj Ka Mausam: कश्मीर से लेकर छत्तीसगढ़ तक मिलेगी गर्मी से राहत, IMD ने जताया गरज के साथ बारिश का अनुमान
Aaj Ka Mausam:देश में मौसम लगातार पलटी मार रहा है जिससे अभी बारिश के लिए कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा. ऐसा बताया जा रहा है कि इस बार मानसून 4 जून तक देश में दस्तक देगा।. वहीं आज दिल्ली-NCR सहित दक्षिण हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी मध्य प्रदेश, झारखंड और गंगीय पश्चिम बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में लू (Heat wave) चलने की संभावना है. 22 मई को दिल्ली में अधिकतम तापमान (Maximum Temperature) 43 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाने की संभावना है.
भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department-IMD) के मुताबिक 23 से 27 मई के दौरान आमतौर पर हल्की बारिश (Rainfall) या बूंदाबांदी के साथ आसमान में बादल छाए रह सकते हैं.वहीं मौसम विभाग ने बताया है कि मानसून इस बार तीन दिन की देरी से आएगा. आईएमडी ने अपने बयान में कहा है कि केरल में मानसून की शुरुआत 1 जून की जगह 4 जून को होने की संभावना है.
इन राज्यों में बारिश की संभावना (Aaj Ka Mausam)
आईएमडी के मुताबिक एक ताजा पश्चिमी विक्षोभ 23 मई से उत्तर पश्चिम भारत को प्रभावित कर सकता है. जिसके असर से पश्चिमी हिमालयी इलाकों में गरज/बिजली/तेज हवाओं के साथ काफी भारी बारिश हो सकती है. मुख्य रूप से 23 से 25 मई के दौरान उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में छिटपुट बारिश हो सकती है. जबकि 24 और 25 मई को उत्तराखंड में अलग-अलग जगहों पर ओले और बिजली गिरने की संभावना के साथ आंधी-तूफान (हवा की रफ्तार 50-60 किमी प्रति घंटा) आ सकता है. 23 मई को जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है.
इसके अलावा आईएमडी ने 21 से 25 मई के दौरान असम और मेघालय में कुछ जगहों पर भारी बारिश की संभावना जताई है. इसके साथ ही राजस्थान, छत्तीसगढ़, गंगीय पश्चिम बंगाल में अलग-अलग जगहों पर बिजली, तेज हवाओं (40-50 किमी प्रति घंटे की गति) और गरज के साथ बारिश हो सकती है.
अल नीनो के बावजूद सामान्य बारिश की उम्मीद
आइएमडी ने पिछले महीने कहा था कि भारत में अल नीनो की स्थिति के बावजूद दक्षिण पश्चिम मानसून के मौसम के दौरान सामान्य बारिश होने की उम्मीद है। वर्षा सिंचित कृषि का भारत की कृषि में महत्वपूर्ण स्थान है। शुद्ध खेती क्षेत्र का 52 प्रतिशत इस पद्धति पर निर्भर है। इसका देश के कुल खाद्य उत्पादन में योगदान लगभग 40 प्रतिशत है जोकि इसे भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता बनाता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम राजीवन ने कहा कि यह संभावना नहीं है कि मानसून में देरी चक्रवात मोचा के कारण हो रही है। यदि चक्रवात 20 से 25 मई के आसपास आया होता तो यह जरूर मानसून को प्रभावित करता लेकिन चक्रवात पहले ही खत्म हो चुका है।
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