चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने कहा कि वह कांग्रेस (Congress) में शामिल होने के ‘उदार प्रस्ताव’ को ठुकरा रहे है और दावा किया कि देश की सबसे पुरानी पार्टी को मुद्दों को हल करने के लिए नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है.
किशोर ने ट्विटर पर कहा, “मैंने ईएजी के हिस्से के रूप में पार्टी में शामिल होने और चुनावों की जिम्मेदारी लेने के कांग्रेस के उदार प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया.”
I declined the generous offer of #congress to join the party as part of the EAG & take responsibility for the elections.
In my humble opinion, more than me the party needs leadership and collective will to fix the deep rooted structural problems through transformational reforms.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) April 26, 2022
उन्होंने कहा, “मेरी विनम्र राय में, परिवर्तनकारी सुधारों के माध्यम से गहरी जड़ें जमाने वाली संरचनात्मक समस्याओं को ठीक करने के लिए पार्टी को मुझसे ज्यादा नेतृत्व और सामूहिक इच्छाशक्ति की जरूरत है.”
प्रशांत किशोर ने इस महीने की शुरुआत में अंतरिम प्रमुख सोनिया गांधी सहित पार्टी नेतृत्व से मुलाकात की और 2024 के चुनावों का खाका पेश किया. सोनिया गांधी द्वारा गठित आठ सदस्यीय समिति ने सिफारिश के रूप में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की.
किशोर ने अपनी डिटेल्ड प्रेजेंटेशन में कथित तौर पर कांग्रेस से कहा था कि उसे बिहार, ओडिशा और उत्तर प्रदेश में अकेले लड़ना चाहिए, लेकिन तमिलनाडु, महाराष्ट्र, झारखंड और यहां तक कि पश्चिम बंगाल में गठबंधन करना चाहिए.
सूत्रों के मुताबिक, पीके ने यहां तक कहा कि संचार विभाग और सोशल मीडिया सहित मौजूदा संगठनात्मक ढांचे को बदलने की जरूरत है.
लेकिन मंगलवार को कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्विटर पर ऐलान किया कि चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे.
हाल ही में, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की टीआरएस ने राज्य चुनावों के लिए पीके की भारतीय राजनीतिक कार्रवाई समिति के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
अंदरूनी सूत्रों पर यकीन करें तो जब प्रशांत किशोर ने पहले 2017 में कांग्रेस के लिए काम किया था, तो चुनावी रणनीतिकार कथित तौर पर एक वरिष्ठ पद चाहते थे, लेकिन पार्टी के नेता चाहते थे कि वह एक कार्यकर्ता के रूप में आएं.
तब पीके उर्फ प्रशांत किशोर ने ने चुनावी राज्यों में पार्टी का नेतृत्व करने की इच्छा जताई. कांग्रेस ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया. प्रशांत किशोर तब कांग्रेस से अलग हो गए थे क्योंकि उन्हें लगा कि उनके हाथ बंधे हुए है और वे अधिक स्वतंत्रता चाहते है.