गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान, राज्य में लगी आचार संहिता, जानिए क्या होती है आदर्श आचार संहिता ?

 
गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान, राज्य में लगी आचार संहिता, जानिए क्या होती है आदर्श आचार संहिता ?

Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग ने गुरुवार, 3 नवंबर को तारीख घोषित कर दी। राज्य में इस बार भी दो चरणों में वोटिंग होगी। पहले चरण में 89 सीट पर वोटिंग होगी और वोट 1 दिसंबर को डाले जाएंगे। वहीं, दूसरे चरण के लिए 93 विधानसभा सीट पर वोटिंग होगी और वोट 5 दिसंबर को डाले जाएंगे। परिणाम 8 दिसंबर को जारी होगा। गुजरात में चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही राज्य में आदर्श आचार संहिता यानी मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट भी लागू हो गया। आइए जानते हैं क्या है आदर्श आचार संहिता और यह कैसे-किन पर लागू होता है। 

क्या है आदर्श आचार संहिता

आदर्श आचार संहिता लागू होते ही गुजरात में पूरा सिस्टम अब चुनाव आयोग के कंट्रोल में होगा। यह सिस्टम वोटिंग और काउंटिंग यानी मतदान तथा मतगणना के बाद परिणाम आने तक आयोग के नियंत्रण में रहेगा। भारत में चुनाव आयोग ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए नियम बनाए हैं, जिन्हें आचार संहिता कहते हैं। यह लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय-पंचायत चुनाव के दौरान स्वत: लागू हो जाती है। लोकसभा, विधानसभा, पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव हर पांच साल पर आयोजित होते हैं। इन नियमों का पालन करना हर किसी के लिए अनिवार्य है, जिसमें सरकार और सभी राजनीतिक दल शामिल हैं। जो कोई भी इन नियमों की अनदेखी करता है, उन्हें किसी भी प्रकार से तोड़ता है, तो उसे दंडित किया जाता है। आयोग जिस दिन चुनाव की तारीख का ऐलान कर देता है, राज्य या क्षेत्र में उस दिन से ही आचार संहिता लागू हो जाती है। आचार संहिता लागू रहने तक सार्वजनिक धन का प्रयोग किसी खास पॉलिटिकल पार्टी या लीडर के लिए नहीं होगा। इन नियमों के तहत कोई पार्टी या नेता सरकारी वाहन, सरकारी विमान या फिर सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं करेगा। 

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धर्म या जाति के आधार पर वोट नहीं मांग सकेगा

कोई भी पार्टी या लीडर अपनी सभाओं में या संकल्प पत्रों-चुनावी घोषणा पत्रों में धर्म या जाति के आधार पर वोट नहीं मांग सकेगा। इस दौरान सरकार किसी तरह के ऐलान नहीं कर सकती। लोकार्पण और शिलान्यास कार्यक्रम भी आयोजित नहीं किए जा सकते। अगर कोई किसी तरह की जनसभा या रैली करना चाहता है, तो इसके लिए पहले पुलिस-प्रशासन से इजाजत लेनी होगी। इस दौरान कोई पार्टी या प्रत्याशी अपनी कामकाज प्रक्रिया में आचरण सामान्य रखेगा। बैठक या जुलूस सभी के लिए नियम निर्धारित हैं। कोई मंत्री अगर ऑफिशियल विजिट पर कहीं गया है तो वहां वह चुनाव प्रचार नहीं कर सकता और न ही चुनावी गतिविधि में शामिल होगा। सरकारी बंगले में चुनावी बैठक नहीं कर सकता। सरकारी वाहन या सरकारी विमान से कहीं चुनाव प्रचार के लिए आ या जा नहीं सकता। सरकार अधिकारियों की इस दौरान ट्रांसफर या पोस्टिंग नहीं कर सकती। अगर जरूरी है तो इस बारे में पहले चुनाव आयोग को बताना होगा। उसकी अनुमति से ही कुछ होगा। सत्तारूढ़ दल चुनाव प्रचार के लिए या ऐसी किसी गतिविधि का प्रचार, जिससे उसके किसी नेता या पूरी पार्टी को फायदा हो रहा है, इसके लिए सरकारी खजाने का धन इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। सार्वजनिक जगहों पर सरकारी खर्च पर लगे पार्टी या सरकार से जुड़े विज्ञापनों को हटा लिया जाएगा या फिर उन्हें ढंक दिया जाएगा। 

लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नियम के अनुसार

किसी तरह के टेंडर प्रॉसेस नहीं होंगे और न ही किसी तरह के नए काम की घोषणा की जाएगी। लाउडस्पीकर का इस्तेमाल सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक के लिए हो सकेगा। इसके पहले या बाद में नहीं। इसी तरह जनसभा या जुलूस सुबह 6 बजे से रात 10 बजे के बीच में ही आयोजित कर सकेंगे। इसके पहले या बाद में नहीं। वोटिंग वाले दिन पोलिंग बूथ के आसपास कहीं भी आर्म्स एक्ट- 1959 में प्रतिबंधित हथियार लेकर नहीं जा सकते। वोटिंग वाले दिन पोलिंग बूथ से सौ मीटर मी परिधि में वोट के लिए कोई प्रत्याशी या राजनीतिक दल प्रचार-प्रसार नहीं कर सकता। चुनाव प्रक्रिया जब तक जारी रहती है यानी चुनाव परिणाम की घोषणा होने और जनप्रतिनिधियों को सर्टिफिकेट देने तक आचार संहिता लागू रहेगी। 

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