Joshimath Sinking: उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव के कारण जमीन नीचे बैठती जा रही है. वहीं अब इसको लेकर इसरो ने सैटेलाइट के जरिए अपनी रिपोर्ट तैयार की है जिसमें उसने बड़ा ही चौंकाने वाला खुलासा किया है. इसरो ने बताया है कि जोशीमठ की जमीन पिछले 12 दिनों में (यानि 27 दिसंबर 2022 से 8 जनवरी 2023 के बीच) 5.4 cm तक नीचे धसक गई है.
इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईआईआरएस) ने दो साल की सेटेलाइट तस्वीरों का अध्ययन करने के बाद अपनी एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार कौ सौंपी है, जिसमें उनका कहना है कि जोशीमठ हर साल 6.62 सेंटीमीटर यानी करीब 2.60 इंच धंस रहा है. बता दें कि वैज्ञानिकों ने यह सर्वे जुलाई 2020 से मार्च 2022 के बीच जोशीमठ और आसपास के करीब छह किलोमीटर क्षेत्र का किया है.
दिसंबर के आखिरी सप्ताह धंसना शुरू हुआ जोशीमठ
वही ISRO के ऑर्गेनाइजेशन नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर यानी NSRC ने बताया कि दिसंबर के आखिरी और जनवरी के पहले सप्ताह के बीच जोशीमठ तेजी से नीचे धंसना शुरू हुआ था.पहले भी अप्रैल 2022 से नवंबर 2022 के बीच जोशीमठ 9 सेंटीमीटर नीचे खिसक गया था.

सैटेलाइट की तस्वीरों के मुताबिक ऊपर आर्मी हेलीपैड और नरसिंह मंदिर सहित सेंट्रल जोशीमठ में सबसिडेंस जोन स्थित है. सबसे ज्यादा धंसाव जोशीमठ-औली रोड के पास 2180 मीटर की ऊंचाई पर नजर आया है, जिसे वैज्ञानिक भाषा में धंसाव का क्राउन बोला जाता है. वहीं, जोशीमठ का निचला हिस्सा अलकनंदा नदी के ठीक ऊपर बसा हुआ है, जो कि धीरे-धीरे कर के बैठ रहा है.
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