भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष होने के साथ ही बृजभूषण शरण सिंह वर्तमान में अभी यूपी स्थित कैसरगंज (Kaisarganj) लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद छह बार से हैं. लेकिन पहले जान लीजिए उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें.
बृज भूषण शरण सिंह कौन हैं?
भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष हैं। वे 2011 से इस पद पर बने हुए हैं. छह बार के सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने गोंडा, कैसरगंज और बलरामपुर निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया है.
उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के निवासी बृजभूषण सिंह युवावस्था के दौरान पहलवान रह चुके हैं। वे 1980 के दशक में छात्र राजनीति में शामिल हुए. अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के समय उनकी उग्र ‘हिंदुत्व छवि’ ने अलग पहचान बन गई.

छात्र नेता के रूप में शुरू हुआ राजनीति में पहला कदम
साल 1956 में आठ जनवरी के दिन गोंडा के विश्नोहरपुर में जन्में बृजभूषण शरण सिंह कुश्ती और पहलवानी के शौकीन हैं. उन्होंने 1979 में कॉलेज से छात्र नेता के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी. यहां उन्होंने रिकॉर्ड वोटों से छात्रसंघ का चुनाव जीता था. इसके बाद 1980 के दौर युवा नेता के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई और 1988 के दौर में पहली बार भाजपा से जुड़े. यहां हिंदूवादी नेता रूप में उन्होंने अपनी छवि बनाई और 1991 में रिकॉर्ड मतों के साथ चुनाव जीता। हालांकि कुछ समय बाद टाडा से जुड़े मामले में वह जेल चले गए और उनकी राजनीति कमजोर पड़ी, लेकिन वापसी के बाद उन्होंने लगातार चुनाव जीते.
1991 में पहली बार उन्होंने लड़ा था चुनाव
बृजभूषण शरण सिंह ने पहली बार 1991 में चुनाव लड़ा और 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कैसरगंज सीट से जीत हासिल की। उस दौरान वे समाजवादी पार्टी में थे. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बृजभूषण शरण सिंह भाजपा में शामिल हो गए. इसके बाद 2014 और 2019 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर लोकसभा के लिए चुने गए.
बृजभूषण शरण सिंह बाबरी विध्वंस मामले के अभियुक्तों में से एक थे जिन्हें बाद में अदालत ने बरी कर दिया था .उनका नाम उन 40 नेताओं की सूची में भी था जिनके खिलाफ आरोप तय किए गए थे. इस लिस्ट में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का भी नाम शामिल था, जिन्हें 2020 में बरी कर दिया गया था.
छह बार से रहे है सांसद
बृजभूषण शरण सिंह 1991 में पहली बार लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने थे. इसके बाद बृज भूषण सिंह ने 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी जीत हासिल की. अब बृज भूषण सिंह कुल छह बार सांसद रहे चुके हैं. इसके अलावा वो 2011 से कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष हैं. 2019 बीजेपी सांसद तीसरी बार कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बने हैं.
बृजभूषण शरण सिंह पहली बार 1988 में बीजेपी में शामिल हुए थे. जिसके बाद 1991 में लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. लेकिन बीच में विवादों के चलते भाजपा पार्टी छोड़ दी थी. जिसके बाद 2009 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर कैसरगंज से चुनाव जीते हासिल करी थी.
रांची का थप्पड़ कांड
एक थप्पड़ कांड को लेकर भी बीजेपी सांसद चर्चा में रहे थे. तब उन्होंने रांची में हो रहे राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप के दौरान गुस्से में आ गए थे. इसके बाद स्टेज पर ही उन्होंने एक युवा पहलवान को थप्पड़ मार दिया था. युवा पहलवान को थप्पड़ जड़ने का वीडियो भी खूब वायरल हुआ था.
चुनाव में मायावती को कह दिया था गुंडी
साल 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले प्रचार में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर बृजभूषण ने एक रैली में कहा था कि “मायावती उत्तर प्रदेश की गुंडी हैं. मायावती ने मुझे चुनाव के बाद जेल भेजने की धमकी दी थी. अब वह जेल जाएंगी. चुनाव होने के बाद उन्हें जेल जाने से कोई भी नहीं बचा सकता है” बीजेपी सांसद ने आरोप लगाया था कि मायावती ने यूपी को लूटने का काम किया है. चुनाव अभियान के दौरान ही बसपा ऑफिस में तोड़फोड़ हुई थी. जिस पर बसपा प्रमुख मायावती ने गोंडा में आयोजित एक रैली में भाजपा प्रत्याशी बृजभूषण शरण सिंह को गुंडा बताया था और बसपा कार्यालय में हमले के लिए बृजभूषण को जिम्मेदार ठहराया गया था.

राज ठाकरे को दी थी धमकी
अपनी अलग शैली और अपनी मुखर बयानबाजी के लिए जाने जाने वाले सिंह ने लगभग एक दशक से महासंघ पर अपनी पकड़ बनाए रखी है. बता दें कि जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे की भाजपा से नजदीकी बढ़ रही थी तब बृजभूषण शरण सिंह ने अयोध्या में प्रवेश करने पर राज ठाकरे को सबक सिखाने की धमकी दी थी.
आरोपों पर बृजीभूषण शरण सिंह का क्या कहना है?
अपने ऊपर लगे आरोपों पर कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, ‘क्या ऐसा कोई खिलाड़ी है जो आकर कह सकता है कि कुश्ती संघ ने उसका शोषण किया? क्या उन्हें पिछले दस साल से फेडरेशन से कोई समस्या नहीं थी? ये सारी बातें तब हो रही हैं जबसे नए नियम लागू किए गए हैं। धरने पर बैठे पहलवानों ने ओलंपिक के बाद से किसी भी राष्ट्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लिया है। यौन शोषण की कोई घटना नहीं हुई है. अगर ऐसा कुछ हुआ है तो मैं फांसी लगा लूंगा’
उन्होंने कहा, ‘मैं विनेश फोगाट से पूछना चाहता हूं कि उन्होंने ओलंपिंक में हार के बाद कंपनी की लोगो वाली पोशाक क्यों नहीं पहनी थी? उसके मैच हारने के बाद, मैंने केवल उसे प्रोत्साहित और प्रेरित किया था. यौन शोषण बहुत बड़ा आरोप है। जब मुझे ही इसमें घसीटा गया है तो मैं कैसे कोई कार्रवाई कर सकता हूं? मैं जांच के लिए तैयार हूं’
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