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Atique Ahmed: खौफ का दूसरा नाम था अतीक अहमद, लगाया जा चुका है एक बार एनएसए, 100 से ज्यादा केस दर्ज

 

Atique Ahmed: 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण केस में प्रयागराज की MP-MLA कोर्ट ने माफिया अतीक अहमद समेत 3 को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने तीनों दोषियों को आजीवन करावास की सजा सुनाई है। भाई अशरफ समेत 7 आरोपियों को बरी कर दिया। इस केस में 11 लोग आरोपी थे, इसमें एक की मौत हो चुकी है।जिन तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है उनमें अतीक के अलावा खान सौलत और दिनेश पासी है। जिन्हें बरी किया गया है उनके नाम- अशरफ उर्फ खालिद अजीम, फरहान, जावेद उर्फ बज्जू, आबिद, इसरार, आशिक उर्फ मल्ली, एजाज अख्तर हैं। 5 हजार तीनों पर जुर्माना व एक-एक लाख रुपये तीनों को उमेश पाल के परिवार को देने को कोर्ट ने फैसला सुनाया है।

अतीक अहमद उमेश पाल केस में दोषी करार दिया गया है साथ ही  दिनेश पासी और सौलत हनीफ को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। हालांकि, अतीक के भाई अशरफ समेत सात जीवित आरोपी मंगलवार को दोष मुक्त करार दिए गए हैं। माफिया अतीक पर आज से 44 साल पहले पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। तब से अब तक उसके ऊपर सौ से अधिक मामले दर्ज हुए, लेकिन पहली बार किसी मुकदमे में उसे दोषी ठहराया गया है।आइये जानते हैं उस मामले में के बारे में जिसमें अतीक दोषी करार दिया गया। कैसे उमेश पाल ने 17 साल तक अतीक को सजा दिलाने के लिए संघर्ष किया। कैसे सजा मिलने से पहले उमेश की हत्या कर दी गई।

क्या है पूरा मामला

बसपा के तत्कालीन विधायक राजू पाल की हत्या 25 जनवरी 2005 को की गई थी। इस हत्याकांड में राजू पाल के साथ ही देवी लाल पाल और संदीप यादव की भी हत्या की गई थी। इस केस में उमेश पाल गवाह थे। आरोप है कि राजू पाल हत्याकांड में गवाही न देने का दबाव बनाने के लिए उमेश पाल का अपहरण 28 फरवरी 2006 को किया गया था। अतीक अहमद पर उमेश पाल का अपहरण करवाने को लगा था। उमेश को धूमनगंज थाना क्षेत्र के फांसी इमली के पास से लैंड क्रूजर गाड़ी में किडनैप कर चकिया स्थित ऑफिस ले जाया गया था। यहां पर 3 दिनों तक उमेश को टॉर्चर करने के बाद 1 मार्च 2006 को उससे अपने पक्ष में गवाही दिलवाई गई थी।

2007 में दर्ज हुआ था केस

अपहरण के इस मामले को लेकर 5 जुलाई 2007 को धूमनगंज थाने में केस दर्ज हुआ था। इस मामले में अतीक अहमद, भाई अशरफ, खान सौलत हनीफ, अंसार अहमद उर्फ अंसार बाबा, दिनेश पासी, फरहान इसरार, आबिद प्रधान, एजाज अख्तर, आशिक उर्फ मल्ली को आरोपी बनाया गया था। ज्ञात हो कि लंबे समय से चल रही सुनवाई के दौरान ही इस मामले में अंसार अहमद उर्फ अंसार बाबा की मौत हो गई थी।

अतीक अहमद पर 101 मुकदमे दर्ज

अतीक अहमद का 20 साल से ज्यादा वक्त तक प्रयागराज समेत आसपास के 8 जिलों में वर्चस्व रहा है। यूपी पुलिस के डोजियर के अनुसार, अतीक के गैंग IS- 227 के खिलाफ 101 मुकदमे दर्ज हैं। अभी कोर्ट में 50 मामले चल रहे हैं। इनमें NSA, गैंगस्टर और गुंडा एक्ट के मुकदमे भी हैं। अतीक पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था।

एक बार एनएसए भी लगाया जा चुका है

989 में वह पहली बार विधायक हुआ तो जुर्म की दुनिया में उसका दखल कई जिलों तक हो गया। 1992 में पहली बार उसके गैंग को आईएस 227 के रूप में सूचीबद्ध करते हुए पुलिस ने अतीक को इस गिरोह का सरगना घोषित कर दिया। 1993 में लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड ने अतीक को काफी कुख्यात किया। गैंगस्टर एक्ट के साथ ही उसके खिलाफ कई बार गुंडा एक्ट की कार्रवाई भी की गई। एक बार तो उस पर एनएसए भी लगाया जा चुका है।

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