Higher Education reform: अब हायर एजुकेशन के लिए नहीं जाना पड़ेगा विदेश, UGC ने पेश किया ये ड्राफ्ट बिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर शुरू हुई देश में उच्च शिक्षा सुधार (Higher Education reform) की मुहिम अब एक नए लेवल पर पहुंचने जा रही है. सरकार विदेशी यूनिवर्सिटीज को भारत में अपना कैंपस खोलने और मान्यता प्राप्त डिग्री देने के लिए मंजूरी देने जा रही है. बता दें कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission) ने एक ड्राफ्ट बिल पेश किया है, जिसमें जनता से विदेशी यूनिवर्सिटीज को देश में एंट्री देने को लेकर फीडबैक मांगा गया है.
UGC ने मांगा जनता से सुझाव (Higher Education reform)
यूजीसी की तरफ से पेश किया गया ड्राफ्ट बिल अब सुझाव देने के लिए आम जनता के पाले में है. आम जनता से इस पर मिलने वाले सुझावों के हिसाब से यूजीसी इसमे बदलाव करेगा. इसके बाद फाइनल मंजूरी के लिए इसे संसद में पेश किया जाएगा. संसद में मंजूर होकर कानून बनने के साथ ही देश में विदेशी यूनिवर्सिटीज के कैंपस बनाए जाने की राह खुल जाएगी.
अब विदेशी यूनिवर्सिटीज भारत में कर पाएंगी कैंपस सेटअप
कुछ विदेशी यूनिवर्सिटीज पहले से ही भारत में अपनी डिग्री मुहैया करा रही हैं. हालांकि अब तक इन यूनिवर्सिटीज को इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूशंस के साथ पार्टनरशिप करनी पड़ती है. इसके बाद स्टूडेंट अपनी डिग्री का कुछ हिस्सा भारतीय संस्थान में पढ़ता है, जबकि बाकी हिस्सा पूरा करने के लिए उसे विदेश जाकर यूनिवर्सिटी कैंपस में पढ़ाई करना पढ़ता है. अब नई कवायद के बाद ये विदेशी यूनिवर्सिटीज भारत में अपना ओवरसीज कैंपस सेटअप कर पाएंगी. इसके लिए उन्हें किसी लोकल पार्टनर को साथ जोड़ने की जरूरत नहीं होगी.
फिलहाल 133 देशों में 101 रैंक पर है शिक्षा में भारत
भारत में शिक्षा के स्तर में सुधार की जरूरत इस कारण पड़ी है कि यहां का स्तर बेहद निचले स्तर पर है. ग्लोबल टेलेंट कॉम्पिटेटिवनेस इंडेक्स 2022 (Global Talent Competitiveness Index 2022) में भारत को 133 देशों में 101वीं रैंक मिली है. यह इंडेक्स टेलेंट ग्रोथ, अटरेक्शन और उसे अपने पास रोके रखने की योग्यता का मानक है.
पीएम मोदी ने Higher Education reform के लिए शुरू की कवायद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में एजुकेशन का फुल ओवरहॉल करने की कवायद शुरू की थी. इसके लिए उन्होंने देश में नई शिक्षा नीति लागू करने का भी ड्राफ्ट पेश कराया था. अब हायर एजुकेशन सेक्टर में भी इस नए ड्राफ्ट के जरिये सुधार की तैयारी की गई है. ये सुधार भारतीय छात्रों को कम खर्च में विदेशी डिग्री हासिल करने का मौका देगा. दूसरी तरफ इस सुधार से भारत एक ग्लोबल स्टडी डेस्टिनेशन के तौर पर भी उभरेगा. इससे विदेशी संस्थानों को भी भारत की युवा आबादी तक अपनी पहुंच बढ़ाने का मौका मिलेगा.