Bageshwar Dham: कैसी है धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की बॉडी लैंग्वेज? जानें इस पर भाषाविज्ञानी के विचार
Bageshwar Dham: कहते हैं कि आप किसी को अगर अपने शब्दों से नहीं समझा पा रहे हैं तो लोग बॉडी लैग्वेंज से भी कायदे से समझा सकते हैं. वहीं आजकल मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक चारोओर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) सुर्खियों में बने हुए हैं, क्योंकि उन पर अंधविश्वास और टोना टुटका करने का आरोप नागपुर की एक समिति ने लगाया है.
वहीं ऐसे में पंडित धीरेंद्र को टीवी डेबिट या फिर अपने पंडेल में बॉडी लैग्वेंज को लेकर भी चर्चा का विषय बन गए हैं, क्योंकि वह बोलते समय कभी अचानक से ताली बजाने लगते हैं तो कभी एकदम से उछलने लग जाते हैं. साथ ही कभी वह जोर-जोर से तेजी के साथ अजीब तरीक से हंसने भी लग जाते हैं, तो चलिए जानते हैं कि आखिर इस बॉडी लैग्वेंज पर भाषाविज्ञानी क्या कहते हैं...
क्या कहते हैं भाषाविज्ञानी?
वहीं भाषाविज्ञानी का मानना है कि कई बार ऐसा होता है कि बोलने वाला आमतौर पर अपनी बॉडी लैंग्वेज समझ नहीं पाता है, मतलब उसे पता नहीं होता कि वह बोलते समय कैसे मूवमेंट कर रहा है, लेकिन सामने से देखने वाले और सुनने वाले पर उसकी भाव-भंगिमा का अधिक असर होता है, जिसकी वजह से लोग कई बार उसका मजाक भी बनाने लगा जाते हैं.
बॉडी लैंग्वेज पर क्या है वैज्ञानिकों की राय?
इसके अलावा वैज्ञानिकों की बात करें तो उनका कहना है कि भाषा लोग आसानी से चेंज कर सकते हैं मगर बॉडी लैंग्वेज बदलना काफी कठिन होता है. हालांकि वह यह भी कहते हैं कि अगर कोई शख्स लंबे समय तक इस बॉडी लैंग्वेज पर काम करें तो प्रैक्टिस के जरिए इस बदल भी सकता है.
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