Independence Day 2022: महान क्रांतिकारी हेमू कालाणी की अनकही कहानी, जानें हेमू के संघर्ष की वीरगाथा
Independence Day 2022: देश को आजादी दिलाने में बहुत से गुमनाम नायक भी थे जिन्होंने देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता में हेमू कालाणी का अहम योगदान था। महज 19 साल की उम्र में हेमू देश के लिए फांसी के फंदे पर चढ़ गए थे। हेमू की वीरगाथा जानने के बाद लोग उन्हें 'सिंध का भगत सिंह' कहते हैं।
देश के लिए जान छिड़कते थे हेमू
सिंध में जन्मे हेमू बचपन से देश के लिए शहीद होना चाहते थे। इतिहास के पन्नों में तमाम वीरों का नाम दर्ज है लेकिन हेमू के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। हेमू के पिता ईंट-भट्टे चलाते थे। देशभक्ति की बातें सुनकर अन्य लोग हेमू से प्रोत्साहित होते थे अंग्रेजों के खिलाफ होने वाले आंदोलनों में हमेशा आगे रहे थे।
बचपन से हेमू शिक्षा के क्षेत्र में होशियार थे और खेलकूद व कुश्ती में भी विजय रहते थे। उन्होंने अंग्रेजों की हुकूमत को जड़ से उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया। जब -जब अंग्रेज हेमू के सामने आते थे तो निडर होकर हेमू सामना करते थे। उनके साहस और निडरता देखकर हर कोई उनसे प्रभावित हो रहा था। देशभक्ति का जुनून लोगों में आजादी की भावना पैदा करता था।
पिता को छुड़ाने के लिए उठाई बंदूक
अंग्रेजों द्वारा हेमू के पिता को गिरफ्तार करने पर हेमू क्रोधित हो गए। गिरफ़्तारी की बात सुनकर हेमू ने बंदूक निकाली और छुड़ाने के लिए अकेले निकल पड़े। आक्रोश में आने के बाद उनके शिक्षक ने उन्हें समझाया तब हेमू का क्रोध शांत हुआ। हेमू हमेशा से स्वदेशी अपनाने के लिए कहते थे और विदेशी चीजों का बहिष्कार करने को कहते थे। हेमू लोगों के साथ रैलियां निकालते थे और पुरजोर विरोध करते थे। इस तरह भारत को आजादी दिलाने में महान क्रांतिकारी हेमू ने अहम योगदान दिया।
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