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Indus Water Treaty: सिंधु जल संधि में अब क्यों पाकिस्तान को जारी हुआ नोटिस? जानें पूरा मामला

 

Indus Water Treaty: सिंधु जल संधि में संशोधन को लेकर भारत ने पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है. सिंधु जल के लिए संबंधित आयुक्तों के माध्यम से 25 जनवरी को IWT के अनुच्छेद XII (3) के अनुसार नोटिस दिया गया था. गौरतलब है कि पाकिस्तान की कार्रवाइयों ने IWT के प्रावधानों और उनके कार्यान्वयन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है और भारत को IWT के संशोधन के लिए एक उचित नोटिस जारी करने के लिए मजबूर किया है.

सिंधु जल संधि के प्रावधानों के तहत सतलज, व्यास और रावी का पानी भारत को और सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को दिया गया है. भारत और पाकिस्तान ने नौ सालों की बातचीत के बाद 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता (सिग्नेटरी) है.

Indus Water Treaty का क्या है मामला

2015 में पाकिस्तान ने भारत की किशनगंगा और रातले हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स (HEP) पर अपनी तकनीकी आपत्तियों की जांच के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति के लिए अनुरोध किया था. 2016 में पाकिस्तान ने एकतरफा रूप से इस अनुरोध को वापस ले लिया और प्रस्तावित किया कि एक मध्यस्थता अदालत उसकी आपत्तियों पर फैसला सुनाए.

sindhu river

इस नोटिस का क्या है उद्देश्य

नोटिस का उद्देश्य पाकिस्तान को सिंधु जल संधि के उल्लंघन को सुधारने के लिए 90 दिनों के भीतर अंतर-सरकारी वार्ता में प्रवेश करने का अवसर प्रदान करना है. यह प्रक्रिया पिछले 62 वर्षों में स्थिति बदलने के अनुसार सिंधु जल संधि को अपडेट भी करेगी.

जानें क्या है सिंधु जल समझौता?

सिंधु जल संधि के प्रावधानों के तहत सतलज, व्यास और रावी का पानी भारत को और सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान को दिया गया है. भारत और पाकिस्तान ने नौ सालों की बातचीत के बाद 19 सितंबर 1960 में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्ता (सिग्नेटरी) है. दोनों देशों के जल आयुक्तों को साल में दो बार मुलाकात करनी होती है और परियोजना स्थलों एवं महत्त्वपूर्ण नदी हेडवर्क के तकनीकी दौरे का प्रबंध करना होता है.

पाकिस्तान ने किया IWT का उल्लंघन

गौरतलब है कि पाकिस्तान की यह एकतरफा कार्रवाई IWT के अनुच्छेद IX का उल्लंघन है. इसी के अनुसार, भारत ने इस मामले को एक तटस्थ विशेषज्ञ के पास भेजने के लिए एक अलग अनुरोध किया. सूत्रों ने कहा कि एक ही प्रश्न पर एक साथ दो प्रक्रियाओं की शुरुआत और उनके असंगत या विरोधाभासी परिणामों की संभावना एक अभूतपूर्व और कानूनी रूप से अस्थिर स्थिति पैदा करती है, जो स्वयं IWT को खतरे में डालती है.

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