ISRO को एक बड़ी सफलता मिली है. इसरो के वैज्ञानिकों ने DRDO और भारतीय वायु सेना के साथ आज कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) में लॉन्च व्हीकल स्वायत्त लैंडिंग मिशन (RLV LEX) का सफलतापूर्वक संचालन किया. RLV LEX को भारतीय वायुसेना के चिनुक हेलीकॉप्टर से लाया गया. इसे 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई पर ले जाया गया और 4.6 किलोमीटर की रेंज पर छोड़ा गया. इसके छोड़ने के बाद रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल ने धीमी गति से उड़ान भरा. थोड़ी देर बाद वह लैंडिंग गियर के साथ खुद ही एटीआर में लैंड किया.
जानकारी के अनुसार, इस रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल ऑटोनॉमस लैंडिग मिशन को आज सुबह कर्नाटक के चित्रदुर्ग के एटीआर से संचालित किया गया। सुबह सात बजकर 10 मिनट पर RLV ने उड़ान भरा और 7:40 बजे यह एटीआर एयर स्ट्रीप में लैंड किया.
री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल की सफल लॉन्चिंग
ISRO के मुताबिक, RLV मूल रूप से स्पेस प्लेन है, जिसे बहुत ज्यादा ऊंचाई से 350 किलोमीटर प्रतिघंटे की तेज रफ्तार पर लैंडिग के लिए डिजाइन किया गया है. तकनीकी तौर पर ऐसा करने के लिए लो लिफ्ट और ड्रैग का सही अनुपात रखना जरूरी होता है, ताकि लैंडिंग के दौरान एयरक्राफ्ट का संतुलन बना रहे.
कई बड़े देश री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल पर काम कर रहे हैं. एलन मस्क की स्पेस एक्स कंपनी पहली उन प्राइवेट आर्गनाइजेशन में से एक है, जिसने री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल का सफल परिक्षण किया था. स्पेस एक्स ने 2015 में री-यूजेबल लॉन्च व्हीकल की सफल सेल्फ लैंडिंग की थी.
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