Joshimath Sinking: उत्तराखंड के शहर जोशीमठ में अब तक इस शहर के 600 मकानों में दरारें आ चुकी हैं. 100 से ज्यादा घर में हालात खतरनाक हो चुके हैं. 3000 से ज्यादा लोगों के रहने पर खतरा पैदा हो गया है.
जोशीमठ शहर के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. जोशीमठ को बचाने के लिए लोग आंदोलन कर रहे हैं. जब यह आवाज राजधानी देहरादून में उठी तो पूरा सरकारी तंत्र सक्रिय हो गया. कई लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा चुका है.
Joshimath Sinking में लोग कर रहे प्रदर्शन
गुरुवार को जब लोगों ने नेशनल हाईवे-58 को जाम कर दिया और पर्यटक परेशान होने लगे तो पुलिस से लेकर प्रशासन तक उन्हें मनाने और निरीक्षण के लिए उतर आया. चमोली पुलिस प्रशासन ने भी स्थलीय निरीक्षण किया तो वहीं देर शाम सचिव आपदा प्रबंधन व टीम ने भी जोशीमठ में निरीक्षण किया. आज भी यह टीम मनोहर वार्ड सहित अन्य वार्डों का निरीक्षण कर रही है. लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है.
हंगामे के बाद टीमों ने किया निरीक्षण
जोशीमठ में तबाही का मंजर देख विशेषज्ञों की टीम भी हैरान रह गई. शहर के बेतरह धंसने और दर्जनों घरों और इमारतों की दीवारों, दरवाजों, फर्श, सड़कों पर आईं दरारों का कारण पता लगाने में पहले दिन टीम को नाकामी हासिल हुई. टीम ने देखा कि जोशीमठ के तमाम हिस्सों से सतह के नीचे पानी का बेतरतीब ढंग से रिसाव हो रहा है. इसका कोई एक सिरा नहीं है.
जोशीमठवासियों को रात में घरों के फर्श के नीचे पानी बहने की आवाजें आ रही हैं. वे बुरी तरह डरे हुए हैं. टीम के सदस्य दिनभर शहर में हो रहे सुराखों की पड़ताल करते रहे, लेकिन उन्हें कोई सुराग नहीं मिला कि आखिर जमीन के नीचे ये पानी आ कहां से रहा है.
लोगों को सरकार से मिली मदद
सीएम की बैठक के बाद जोशीमठ क्षेत्र के प्रभावितों के लिए जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रशासन ने 6 महीने तक प्रभावित प्रभावित परिवारों को किराया देने का ऐलान किया है. अधिकारियों के मुताबिक जिन लोगों के घर खतरे की जद में हैं या रहने योग्य नहीं है, उन्हें अगले 6 महीने तक किराए के मकान में रहने के लिए 4000 रूपए प्रति परिवार सहायता दी जाएगी. ये सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से प्रदान की जाएगी.
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