नई संसद में दिखाया गया सेंगोल का इतिहास और महत्व, इस वजह से किया गया स्थापित, देखें VIDEO

 
नई संसद में दिखाया गया सेंगोल का इतिहास और महत्व, इस वजह से किया गया स्थापित, देखें VIDEO

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन कर दिया है।  तमिलनाडु से आए अधीनम संतों ने धार्मिक अनुष्ठान के बाद पीएम मोदी को सेंगोल सौंपा, जिसे पीएम मोदी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के साथ नई संसद के लोकसभा भवन में स्थापित कर दिया। जानिए क्या है सेंगोल और इसका महत्व

इसका नाम सेंगोल ही क्यों पड़ा?

सेंगोल निष्पक्ष न्यायपूर्ण शासन का प्रतीक है। स्वतंत्रता का प्रतीक है जिसे पाने के लिए भारत के ना जाने कितने वीर हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए। सेंगोल, चोलवंश से संबंध हैं। उस चोलवंश से, जिसके जिक्र के बिना दक्षिण भारत का इतिहास लिखना असंभव है. चोल राजवंश ऐसा राजवंश है, जिसने 1600 वर्षों से अधिक तक शासन किया. आज जिसे हम बंगाल की खाड़ी कहते हैं, उसे कभी 'चोलों की झील' तक कहा जाने लगा था. इस राजवंश ने बंगाल से लेकर दक्षिण भारत और सुदूर दक्षिण के दूसरे देशों तक राज किया था. इस वंश में राजेंद्र चोल प्रथम और राजाराज चोल जैसे प्रतापी राजा हुए. चोलवंश का वैभवशाली इतिहास है।

WhatsApp Group Join Now

सेंगोल क्या है?

प्रधानमंत्री के मन में पहला सवाल यही था। नरेंद्र मोदी ने संस्कृति मंत्रालय को मेरे विषय में जानकारी हासिल करने को कहा, जिसके बाद मेरी खोजबीन शुरू हुई। कुछ ही दिन में भारत सरकार के अधिकारी उस म्यूजियम तक पहुंच गए, जहां रखा था। प्रयागराज में जहां मुझे रखा गया था, वहां मेरी पहचान दर्ज थी 'पंडित जवाहरलाल नेहरू को भेंट, सुनहरी छड़ी.' वैसे, सच ये है कि कुछ बरस पहले मुझे बनाने वाले चेट्टी परिवार के युवा बच्चों को जब मेरे बारे में पता चला तो उन्होंने मुझे इलाहाबाद के म्यूजियम में खोज लिया था इसके ऊपर विराजमान नंदी का संदेश क्या है?

सेंगोल में क्यों है नंदी की प्रतिमा?

सेंगोल की आकृति और नक्काशी-बनावट की वजह प्राचीन चोल इतिहास से इसका संबंधित होना है। सेंगोल के ऊपरी सिरे पर बैठे हुए नंदी की प्रतिमा बनी हुई है. दरअसल, यहां पर नंदी की प्रतिमा इसका शैव परंपरा से संबंध प्रदर्शित करती है. इसके अलावा इसपर नंदी होने के कई अन्य मायने भी हैं। हिंदू धर्म में नंदी समर्पण का प्रतीक है. राज्य के प्रति राजा सहित प्रजा भी समर्पित होती है। नंदी, भगवान शिव के आगे इसी तरह स्थिर मुद्रा में रहते हैं, इस प्रकार उनकी यह स्थिरता शासन के प्रति अडिग होने का प्रतीक मानी जाती है। जिसका न्याय अडिग है, उसका शासन भी अडिग होता है। इसलिए नंदी को इस राजदंड के सबसे शीर्ष पर स्थान दिया गया है।

1272 से ज्यादा सांसद साथ बैठ सकेंगे

लोकसभा में इतनी जगह होगी कि दोनों सदनों के जॉइंट सेशन के वक्त लोकसभा में ही 1272 से ज्यादा सांसद साथ बैठ सकेंगे।संसद के हर अहम कामकाज के लिए अलग-अलग ऑफिस हैं। ऑफिसर्स और कर्मचारियों के लिए भी हाईटेक ऑफिस की सुविधा है।कैफे और डाइनिंग एरिया भी हाईटेक है। कमेटी मीटिंग के अलग-अलग कमरों में हाईटेक इक्विपमेंट लगाए गए हैं।कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और VIP लाउंज की भी व्यवस्था है।

ये भी पढ़ें- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया नए संसद भवन का इनॉगरेशन, सेंगोल को किया साष्टांग प्रणाम

Tags

Share this story