निठारी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को बरी करने के खिलाफ अपीलें खारिज की

 
निठारी हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को बरी करने के खिलाफ अपीलें खारिज की

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 2006 के निठारी हत्याकांड मामले में आरोपी सुरेंद्र कोली को बरी किए जाने के खिलाफ दायर 14 अपीलों को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा कोली को बरी करने के फैसले में "कोई विकृति" न होने का उल्लेख किया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कोली के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं थे और उसकी बरामदगी में पुलिस के समक्ष बयान लेने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। कोर्ट ने कहा कि बिना पुलिस द्वारा अभियुक्त का बयान दर्ज किए, कोई भी बरामदगी साक्ष्य के तौर पर स्वीकार्य नहीं है।

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कोली की गिरफ्तारी और उसके खिलाफ आरोप

सुरेंद्र कोली और उसके सहयोगी मोनिंदर सिंह पंढेर पर निठारी के पास स्थित अपने घरों में बच्चों के साथ बलात्कार और हत्या करने का आरोप था। 28 सितंबर, 2010 को निचली अदालत ने कोली को मौत की सजा सुनाई थी, जबकि पंढेर को भी सजा दी गई थी।

हालांकि, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दोनों को मौत की सजा से बरी कर दिया, यह कहते हुए कि अभियोजन पक्ष ने उन्हें दोषी साबित करने में "उचित संदेह से परे" सफलता नहीं पाई थी। उच्च न्यायालय ने इसे एक "विफल" जांच मानते हुए कहा कि यह जनता के विश्वास के साथ विश्वासघात था। कोर्ट ने कोली को 12 मामलों में और पंढेर को दो मामलों में बरी कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर 2023 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार किया था। इनमें से एक याचिका पीड़ितों में से एक के पिता द्वारा दायर की गई थी। कोर्ट ने कहा कि केवल उन्हीं बरामदगी को साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, जो अभियुक्तों की पहुंच से की गई हों।

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