PM Modi B'day: संघर्षों भरा रहा है मोदी का बचपन, 5 प्वाइंट में जानें चायवाले से पीएम बनने तक का सफर

 
PM Modi B'day: संघर्षों भरा रहा है मोदी का बचपन, 5 प्वाइंट में जानें चायवाले से पीएम बनने तक का सफर

PM Modi Birthday: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कल 17 सिंतबर को जन्मदिन है यानि कि कल वह 72 साल के हो जाएंगे. गुजरात के महेसाणा जिले में स्थित वडनगर में साल 1950 में उनका जन्म हुआ था. वहीं आज हम आपको बताएंगे कि चाय वाले से लेकर प्रधानमंत्री तक के सफर में उन्होंने कितनी सारे संघर्ष झेले हैं, जो कि शायद बहुत लोगों को ही पता होंगे...

एक-डेढ़ कमरे में बीता सारा बचपन

PM Modi B'day: संघर्षों भरा रहा है मोदी का बचपन, 5 प्वाइंट में जानें चायवाले से पीएम बनने तक का सफर

नरेंद्र मोदी के पिता दामोदरदास की स्टेशन के बाहर एक चाय की दुकान थी, जिससे ही उनका पूरा घर चलता था, जबकि वह छह भाई और बहन हैं. जिसमें पीएम तीसरे नंबर के हैं. जानकारी के मुताबिक गुजरात के वडनगर के जिस घर में मोदी रहते थे उसमें न कोई को खिड़की थी और ना ही कोई बाथरूम. ये घर मिट्टी का बना था जिसमें केवल एक-डेढ़ कमरे ही थे जिसमें उनका सारा बचपन बीता है.

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छह साल की उम्र में पिता के साथ बंटाने लगे थे हाथ

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प्रधानमंत्री मोदी केवल 6 साल की उम्र यानि बचपन में ही अपने पिता की चाय की दुकान पर उनके साथ हाथ बंटाने लगे थे. पढ़ाई करने के बाद जितना भी समय मिलता था उसमें वह अपने पिता की मदद करते थे. साथ ही ट्रेनों में चाय भी बेचते थे.

बचपन से ही था आरएसएस से लगाव

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आरएसएस के प्रति पीएम मोदी का बचपन से ही जुड़ाए था. साल 1958 में नरेंद्र मोदी ने बाल स्वयंसेवक की शपथ ली थी. फिर वह धीरे-धीरे कर के आरएसएस की शाखाओं में आने-जाने लगे. फिर चाय की दुकान पर बैठने के कारण से वह लगातार शाखा में नहीं जा पाते थे मगर उनका संपर्क वहां से लगातार रहता था.

संघ के रास्ते बीजेपी में हुए शामिल 

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17 साल की उम्र में यानि सन 1967 में नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सदस्यता ग्रहण की. फिर संघ के रास्ते ही उन्होंने साल 1987 में भाजपा में कदम रखा. इसके बाद साल 1988-89 में वह बीजेपी की गुजरात ईकाई के महासचिव बने. फिर साल 1998 में उन्हें महासचिव (संगठन) बनाया गया. जिस पर वह अक्‍टूबर 2001 तक काबिज रहे. 

साल 2001 से जीवन में आए बदलाव

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साल 2001 के बाद से पीएम मोदी की जिंदगी में एक नया मोड आया. गुजरात में आए विनाशकारी भूकंप के कारण 20 हजार लोग मारे गए थे, तभी राजनीतिक दबाव के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल को रिजाइन देना पड़ा था. फिर उनकी जगह पर नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली. फिर धीरे-धीरे कर के वह पब्लिक के दिलों में समाने लगे और साल 2014 के चुनावों में भाजपा ने उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिला दी थी.

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