देश भर में बिजली की स्थिति चरमरा रही है, देखिए खास रिपोर्ट
सरकारी दावे जो हो यह पूरी तरह सुनियोजित किल्लत पैदा की जा रही। कहा जा रहा है कोयले की आपूर्ति में बाधा है इसलिए समस्या हो रही है। लेकिन बाधा हो क्यों रही है?
क्या हम बिजली के लिए कोयला पर इतना आश्रित हैं? बिल्कुल नहीं।
देश की औसत पॉवर कंजम्पशन 180 GW के आसपास है। ऑल टाइम पीक डिमांड 7 जुलाई को था जब पहली बार 200 GW का आंकड़ा पार हो गया था।
● देश के हाइड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर प्लांट्स की कैपिसिटी लगभग 50 GW (large plant 46.4 GW+ small plant 4.8 GW) है। अभी तुरंत बरसात ख़त्म हुआ। सारे रिज़र्वेयर में पानी भरा है। हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट अपने अधिकतम क्षमता से उत्पादन कर रहे हैं।
● रिन्युएबल एनर्जी (Solar- 44.3 GW, Wind- 39.25GW & others) श्रोतों की कुल क्षमता 100.683 GW है। इसमें भी कोई बरसात या कोहरा कुहासा का समय है नहीं कि उत्पादन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़े।
● न्यूक्लियर एनर्जी 6.78 GW
कुल हो गए लगभग- 155 GW
मान लिया जाए सारे फेवरेबल माहौल होने के बावजूद यह सभी संयंत्र 80% उत्पादन क्षमता पर ही काम कर रहे हैं। फिर भी 124 GW।
इसके अतिरिक्त गैस, डीज़ल आदि से जो होते हैं उनको छोड़ दीजिये।
180 में से 124 GW तो नॉन-कोल संयंत्र से आरहा है। बाकी बचे 56 GW जो कोयला से उत्पादन होना है। मान लीजिये 60 GW कोयला से उत्पादन करना है
देश मे कोयला आधारित उर्जा संयंत्रों की क्षमता 202 GW है। मतलब 202 GW की क्षमता और उसको आप 60 GW वाट उत्पादन के लायक़ कोयला सप्लाई भी नहीं दे पा रहे हैं? 30% से भी कम!
अब कोयला की बात। कोयला मंत्रालय के वेबसाइट के मुताबिक सितंबर 2021 तक पिछले साल की तुलना में कोयला उत्पादन में 11.83% की वृध्दि हुई है। पिछले साल इसी अवधि में 282.307 मीट्रिक टन कोयले का उत्पादन हुआ था वहीं इस साल 315.718 मीट्रिक टन उत्पादन हो चुका है।
साल दर साल बिजली के लिए कोयला पर निर्भरता कम हो रही, और कोयला का भी उत्पादन बढ़ रहा है। फिर यह किल्लत क्यों?
या तो जो उत्पादन हो रहा है उसका सही से आवंटन नहीं दिया जा रहा है ऊर्जा संयंत्रों को या फिर!
(नोट- सभी आंकड़े सम्बंधित मंत्रालयों की वेबसाइट या फिर बड़े चैनलों के न्यूज़ आर्टिकल्स में पब्लिश्ड आंकड़े हैं। ख़्याली पुलाव कुछ नहीं लिखा है)