राजेंद्र चिंतन समिति ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 137वीं जयंती पर दी श्रद्धांजलि

 
राजेंद्र चिंतन समिति ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 137वीं जयंती पर दी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली: भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की ऐतिहासिक विरासत का सम्मान करते हुए राजेंद्र चिंतन समिति ने शुक्रवार को उनकी 137वीं जन्मजयंती एक कार्यक्रम का आयोजन किया। तालकटोरा रोड, पार्लियामेंट एनेक्सी, नई दिल्ली स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व केंद्रीय (स्वास्थ्य) मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और नई दिल्ली नगर परिषद के अध्यक्ष धर्मेंद्र ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर डॉ. राजेंद्र बाबू को पुष्पांजलि अर्पित कर किया। कार्यक्रम में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी कार्यक्रम में शामिल हुए।

इस अवसर पर डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, "डॉ. राजेंद्र बाबू ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और राष्ट्र उनके अनुकरणीय योगदान का आभारी है। वे स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी और सरदार पटेल जी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चले।"

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, "संविधान बनाने में राजेंद्र बाबू का विशेष योगदान है। उन्होंने राजनीतिक गरिमा बनाए रखी और राष्ट्र निर्माण के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। हम सभी उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।"

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एनडीएमसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र ने कहा, "डॉ राजेंद्र प्रसाद ने सादगी और नैतिकता के उच्च मानक स्थापित किए हैं। आज हम उनके बताए रास्ते पर चलकर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।"

राजेंद्र चिंतन समिति के संयोजक राम कृष्ण शर्मा ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा किए गए कार्यों को विस्तार से बताया और कहा कि वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी और सच्चे देशभक्त थे।

राजेंद्र चिंतन समिति के उपाध्यक्ष विजय शंकर चतुर्वेदी ने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने स्वतंत्रता संग्राम के दिनों से ही देश की सेवा को अपना जीवन बना लिया था और वह जीवन भर उसी रास्ते पर चलते रहे।

समिति के आयोजक पंकज शर्मा, पुलकित चतुर्वेदी, शिक्षाविद् मनोज शर्मा समेत सैकड़ों लोगों ने राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए।

शिक्षाविद् मनोज कुमार शर्मा ने कहा, "देशभक्ति के प्रतीक राजेंद्र प्रसाद ने भारत के संविधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू के राष्ट्र निर्माण का सपना हमेशा याद रखा जाएगा। हमें उम्मीद है कि उनके आदर्श और विचार आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करेंगे।"

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