रिसर्च: भारत में किस धर्म के लोग ज्यादा बच्चें पैदा कर रहें हैं?
भारत में कई नेताओं ने धार्मिक तुष्टीकरण के लिए बयान दिया है कि ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करें। इस बयान का असर हिंदुस्तान की आवाम पर पड़ा भी है। देश की बढ़ती हुई आबादी निरंतर ही बढ़ी है। साल 1951 से लेकर अब तक देश की धार्मिक आबादी और ढाँचे में मामूली अंतर ही आया है।
इस देश में मुख्य रूप से हिंदू और मुसलमान रहते हैं। जो कुल आबादी का 94% हिस्सा हैं यानी करीब 1.2 अरब। वहीं ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन धर्मों के अनुयायी भारतीय जनसंख्या का 6% हैं। देश में जनसंख्या के आंकड़े को देखा जाए तो 1951 में भारत की जनसंख्या 36 करोड़ थी, जो साल 2011 के जनगणना में 120 करोड़ के क़रीब पहुँच गई।
2011 की जनसंख्या जनगणना में धार्मिक आंकड़े पर नजर रखा जाए तो हिंदुओं की संख्या कुल 121 करोड़ आबादी का 79.8%था। वहीं मुसलमान भारत की कुल आबादी का 14.2% हिस्सा हैं। जो विश्व स्तर पर इंडोनेशिया के बाद सबसे ज्यादा है। वही 30000 लोगों ने खुद को नास्तिक बताया है।
तत्कालीन अमेरिका के प्यू रिसर्च सेंटर के एक अध्ययन में पता चला है कि भारत में सभी धार्मिक समूहों की प्रजनन दर में काफ़ी कमी आई है। कमी के बावजूद भी भारत में अब भी मुसलमानों की प्रजनन दर सभी धार्मिक समूहों से ज़्यादा है। साल 2015 में रिसर्च के आंकड़े के मुताबिक हर मुसलमान महिला के औसतन 2.6 बच्चे थे। वहीं हिंदू महिलाओं के बच्चों की संख्या औसतन 2.1 और जैन महिलाओं के बच्चों की औसत संख्या 1.2 थी।