Swati- Dayashankar Singh Divorce: 22 साल पुराने रिशते की टूटी डोर, कॉलेज टाइम से थे एक-दूसरे के साथ

 
Swati- Dayashankar Singh Divorce: 22 साल पुराने रिशते की टूटी डोर, कॉलेज टाइम से थे एक-दूसरे के साथ

यूपी सरकार में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और पूर्व मंत्री स्वाति सिंह के 22 साल पुराने रिश्ते की डोर अब टूट गई है। कोर्ट ने तलाक की अर्जी पर विचार करते हुए दयाशंकर और स्वाति के तलाक पर मुहर लगा दी है। जानकारी के लिए बता दें कि ये मामला लखनऊ के फैमिली कोर्ट में था जहांअपर प्रधान न्यायाधीश देवेन्द्र नाथ सिंह ने दोनों के विवाह को खत्म मानते हुए ये निर्णय लिया। हालांकि पिछले कई वर्षों से दोनो पति-पत्नि अलग-अलग रह रहे थे।

दरअसल, स्वाति सिंह द्वारा आपसी विवादों के चलते 2012 में दयाशंकर सिंह से तलाक के लिए लखनऊ के फैमिली कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसके बाद अदालत द्वारा दयाशंकर सिंह को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया गया था।

2018 में हो गई थी अर्जी खारिज

2012 में दाखिल की गई अर्जी को सरकार द्वारा 2018 में खारिज कर दिया गया था.दरअसल हुआ यूं कि मुकदमें की सुनवाई के बीच ही स्वाति सिंह को भाजपा द्वारा विधानसभा चुनाव का टिकट दिया गया था। साल 2017 में हुए चुनाव में ना सिर्फ स्वाति जीतीं बल्कि उन्हें सरकार द्वारा मंत्री पद भी दिया गया। जिसके बाद वो अदालत में सुनवाई के दौरान हाजिर नहीं हो पाई और लगातार गैर हाजिरी के चलते फैमिली कोर्ट ने 2018 में उनके मुकदमे को खारिज कर दिया।

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बीते साल लगी अर्जी पर किया कोर्ट ने अमल

इसके बाद स्वाति सिंह द्वारा मार्च 2022 में अदालत में अर्जी लगाकर केस दोबारा शुरू करने की अपील की गई, हालांकि उनकी इस अर्जी को भी कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया। जिसके बाद स्वाति सिंह ने बीते साल पारिवारिक न्यायालय में फिर से अर्जी दाखिल की. अर्जी दाखिल करते हुए उन्होंने कहा कि वह बीते चार वर्षों से पति से अलग रह रही हैं और दोनों के बीच कोई वैवाहिक रिश्ता नहीं है। इसलिए वो तलाक लेना चाहती है। इसके बाद दयाशंकर के अदालत में पेश न होने के कारण कोर्ट ने वाद की कार्यवाही को एक पक्ष की तरफ से सुना और सबूतों से सहमत होने के बाद तलाक को मंजूरी प्रदान कर दी।

कॉलेज टाइम में प्यार चढ़ा परवान

दयाशंकर सिंह व स्वाति सिंह दोनों ही बलिया के रहने वाले थे और कॉलेज टाइम से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय थे। वहीं से इन दोनों के रिशते की नींव पड़ी और इनका प्यार परवान चढ़ा. जानकारी के अनुसार स्वाति सिंह उस वक्त इलाहाबाद में एमबीए की पढ़ाई कर रही थीं और दयाशंकर सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में सक्रीय थे। इसके बाद परिषद के कार्यक्रमों के दौरान दोनों का मेलजोल बढ़ा और उनके रिश्ते प्रगाढ़ होते गए.

जिसके बाद जल्द ही दोनों विवाह बंधन में बंध गए। शादी के बाद स्वाति सिंह ने लखनऊ यूनिवर्सिटी में पीएचडी में रजिस्ट्रेशन कराया और उसके साथ ही यहां पढ़ाने भी लगीं।

स्वाति का राजनीति में हुआ नाटकीय प्रवेश

राजनीति में स्वाति सिंह का प्रवेश किसी फिल्म की कहानी से कम नही रहा। दरअसल, दयाशंकर सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को लेकर एक टिप्पणी कर दी थी, जिसके बाद विवाद में उनके परिवार को घसीटे जाने पर स्वाति सिंह सामने आई। उसके बाद उनकी मुखरता को देखते हुए भाजपा ने उन्हें प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष बनाया। फिर उनके सितारे बुलंद हुए और वे प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष से सीधी विधायक और उसके बाद प्रदेश सरकार में मंत्री बनीं। हालांकि, इस बार के चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। वहीं दयाशंकर सिंह ने हाल ही में हुए चुनाव में बलिया से जीत दर्ज की थी।

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