दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज भारत में, जिसके आगे बौना लगे चीन का शुईबाई रेलवे पुल

 
दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज भारत में, जिसके आगे बौना लगे चीन का शुईबाई रेलवे पुल

150 सालों के इतिहास का सबसे कठिन रेलवे प्रोजेक्ट…इसके आगे बौना दिखेगा चिन का शुईबाई रेलवे पुल…ये है दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज, जिसे भारत तैयार कर रहा है. दुनिया का सबसे ऊंचा ब्रिज लगभग बन कर तैयार है जिसके पूरा होते ही कश्मीर घाटी को भारतीय रेल नेटवर्क के साथ जोड़ने का सपना दिसंबर 2021तक साकार हो जाएागा.

कटरा-बनिहाल के बीच रियासी में चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल आधा तैयार हो गया है. अगले साल पुल के तैयार होते ही ट्रेन सीधा कश्मीर तक जा सकेगी. साल 2002 में उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था.

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इसके अंतर्गत 111 किमी लंबे कटरा-बनिहाल रेल लिंक में 53.66 किमी लंबे कटरा से धरम खंड के बीच सबसे चुनौतीपूर्ण काम चल रहा है. ये रास्ता रियासी, मूरी, और पीर पंजाल पहाड़ों के सबसे मुश्किल भौगोलिक परिस्थितियों से गुजरता है.

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इसका 46.1 किमी यानी कुल लंबाई का 86 प्रतिशत रास्ता सुरंगों से होकर गुजरता है, जबकि 4.6 किमी यानी 8.6 प्रतिशत का रास्ता पुलों और बाकी 5.5 प्रतिशत का मार्ग कटिंग और तटबंधों से है. ये प्रोजेक्ट रेलवे के 150 सालों के इतिहास में सबसे कठिन प्रोजेक्ट है और इस कोंकण रेलवे को दिया गया है.

विश्व के सबसे ऊंचे पुल जिसकी ऊंचाई 359 मीटर है उसके निर्माण का काम सलाल हाईड्रो पावर डैम के पास चिनाब नदी पर हो रहा है. पुल की लंबाई 1315 मीटर है जो पेरिस के एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है.

इसको इतने आधुनिक तौर पर तैयार किया जा रहा है कि ये 260 किलोमीटर की रफ्तार वाली हवा के सामने चट्टान की तरह खड़ा रहेगा.आइए आपको थोड़ा और करीब से इसके बारे में जानकारी देते हैं. कटरा- बनिहाल रेल सेक्शन कुल 111 किमी लंबा है और इस प्रोजेक्ट की लागत 21,653 करोड़ है.

इसमें 26 बडे़ और 11 छोटे पुल है. 37 पुलों की कुल लंबाई 7 किमी है. इसमें 35 टनल हैं जिसमें 27 मुख्य टनल हैं, जबकि 8 एस्केप टनल हैं। इसमें सबसे लंबा टनल टी-49 है जिसकी कुल लंबाई 12.75 किमी की हैं.

तो वहीं कोंकण रेल के 56.66 किमी मार्ग में 17 टनल, 23 पुल, पांच रेलवे स्टेशन और एक हाल्ट है. 17 टनल में से वर्तमान में चार टनल का काम बचा है. इन टनल की कुल लंबाई 46.1 किमी की है.

ये पुल न केवल कश्मीर को रेल मार्ग से जोड़ देगा बल्कि ये जम्मू-कश्मीर में विकास की नई बयार लेकर आएगा.

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