जब दिलीप कुमार ने फोन करके नेहरू से अपनी फिल्में करवा ली
बॉलीवुड और फिल्म का गहरा रिश्ता है। कल भी था और आज भी है। आज कहानी देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू और बॉलीवुड के पहले इस स्टार दिलीप कुमार की
बॉलीवुड में कोई भी समस्या होती वे झट नेहरू जी को फोन करते और समस्या का समाधान हो जाता। सेंसर बोर्ड में उनकी फिल्म गंगा जमुना को रोक दिया गया तो उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को फोन करके फ़िल्म को पास करवा लिया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और काँग्रेस के दूसरे नेताओं का दिलीप कुमार के घर रोज़ आना जाना था। यहां तक की कांग्रेस के रणनीतिकार और बड़े-बड़े वकील तक की दिलीप कुमार के साथ 'सिटिंग्स' होती थीं।
पुणे के राजनीतिक बादशाह शरद पवार उस समय दिलीप कुमार के पक्के दोस्तों में आते हैं। काँग्रेस की सरकार ने जब-कब कहा दिलीप कुमार ने तब-तब अपने स्टारडम का उनके लिए प्रयोग किया,बदले में बड़े सारे काम भी करवाए। एक तरह से बॉलीवुड और राजनीति के आपसी सम्बन्धों के बड़े सारे तार दिलीप कुमार की कथा से खुलते दिखते हैं।
दिलीप कुमार ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वे 1962 से ही नेहरू जी के कहने पर लोकसभा और विधानसभा चुनावों में काँग्रेस का प्रचार करने लगे थे और बल्कि जिस तरह वे अपनी फिल्मों पर, उसकी स्क्रिप्ट पर,फ़िल्म के प्रभाव पर काम करते थे ठीक उसी तरह राजनीतिक रैलियों में क्या और कहाँ बोलना है, पर काम करते थे। उसी गम्भीरता और गहराई से।
दिलीप कुमार लिखते हैं कि बॉलीवुड में कोई भी समस्या होती वे झट नेहरू जी को फोन करते और समस्या का समाधान हो जाता। सेंसर बोर्ड में उनकी फिल्म('गंगा जमुना')को रोक दिया गया तो उन्होंने नेहरू जी को फोन करके फ़िल्म को 'पास' करवा लिया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और काँग्रेस के दूसरे नेताओं का दिलीप कुमार के घर रोज़ आना जाना था। यहां तक की कांग्रेस के रणनीतिकार और बड़े-बड़े वकील तक की दिलीप कुमार के साथ 'सिटिंग्स' होती थीं।