Republic Day 2023: देश की राजधानी दिल्ली में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस बड़ी से धूमधाम से मनाया जाता है. आपने देखा होगा कि इस खास मौके पर हर बार राष्ट्रीय ध्वज केवल राष्ट्रपति ही फहराते हैं, जबकि 15 अगस्त को लाल किले पर झंडा प्रधानमंत्री करते हैं. कभी सोचा है कि 26 जनवरी को भी देश के पीएम झंडारोहण क्यों नहीं करते हैं, नहीं तो चलिए जानते हैं आखिर इसके पीछे का क्या कारण है…
दरअसल, भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था तब देश का मुख्य और सर्वापरि पद प्रधानमंत्री का होता था क्योंकि उस न तो राष्ट्रपति का पद था और न ही संविधान बना था, इसलिए 15 अगस्त को देश के पीएम ही तिरंगा फहराते हैं. फिर 26 जनवरी 1950 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को देश का राष्ट्रपति बनाया गया इस दिन से वह दिल्ली में झंडा फहराने लगे थे. ये वजह है कि राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक माना जाता है और तब तक 26 नवबंर 1949 में संविधान भी लागू हो चुका था.
15 अगस्त और 26 जनवरी में क्या है अंतर?
सबसे पहले तो आपको यह बता दें कि 15 अगस्त को देश आजाद हुआ था इसलिए स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है जबकि 26 जनवरी को संविधान लागू हुआ था इसलिए गणतंत्र दिवस मनाया जाता है. इसलिए ही इन दोनों दिनों को देश में एक पर्व की तरह मानाया जाता है, जिसकी वजह से स्कूलों और कॉलेजों में देशभक्ति से जुड़े कार्यक्रम भी आयोजित कराए जाते हैं.
क्या झंडा फहराने में भी होता है फर्क?
15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन झंडा फहराने में भी फर्क होता है अगर आपने कभी गौर किया हो तो स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडे को नीचे से रस्सी के जरिए खींचकर ऊपर लेकर जाते हैं, इसके बाद झंडे को खोल कर फहराया जाता है, इसे ध्वजारोहण कहते हैं. जबकि गणतंत्र दिवस के दिन झंडा ऊपर ही बंधा रहता है, जिसे सिर्फ खोला जाता है. इसे केवल झंडा फहराना कहा जाता है.
ये भी पढ़ें: गणतंत्र दिवस पर कैसे होता है मुख्य अतिथि का चुनाव? जानें इस बार कौन है स्पेशल गेस्ट