किसान आंदोलन का प्रभाव क्यों नहीं नज़र आ रहा है? आंकड़े से समझिए

 
किसान आंदोलन का प्रभाव क्यों नहीं नज़र आ रहा है? आंकड़े से समझिए

किसान आंदोलन के प्रभाव को समझने के लिए हरियाणा के ऐलेनाबाद सीट के उपचुनाव परिणाम का मूल्यांकन करना बहुत जरूरी है। यह सीट ओमप्रकाश चौटाला परिवार की परम्परागत सीट रही है। यहाँ से अभय सिंह चौटाला लगातार जीतते रहे है। किसान बिल को लेकर उन्होंने त्यागपत्र दिया था इसलिए उपचुनाव कराना पड़ा।

लेखक और विश्लेषक तारिक अनवर चंपारणी बताते हैं कि, "2019 हरियाणा विधानसभा चुनाव में अभय चौटाला को 57055 वोट प्राप्त हुआ था जब्कि किसान आंदोलन के बाद हुए उपचुनाव में उन्हें 65992 वोट प्राप्त हुआ है। यानी चौटाला को 8944 वोट ज़्यादा मिला है। दूसरी तरफ़ 2019 विधानसभा चुनाव में ऐलेनाबाद सीट से भाजपा उम्मीदवार पवन बेनीवाल को 45133 वोट प्राप्त हुआ था।"

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जब्कि किसान आंदोलन के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार गोविंद कांडा को 59253 वोट मिले है। यानी के किसान आंदोलन के बाद इस सीट पर भाजपा को 14120 वोट अधिक मिले है। अगर मत प्रतिशत भी देखें तब किसान आंदोलन के बाद INLD का मत 5.63% और भाजपा का 9.1% बढ़ा है।

अगर इन दोनों के अलावा काँग्रेस को देखें तब 2019 विधानसभा चुनाव में काँग्रेस उम्मीदवार भरत सिंह बेनीवाल को 35383 वोट मिला था। लेकिन किसान आंदोलन के बाद हुए उपचुनाव में काँग्रेस ने 2019 विधानसभा चुनाव में एलेनाबाद सीट से भाजपा उम्मीदवार पवन बेनीवाल को ही उम्मीदवार बनाया था।

इसके बावजूद काँग्रेस के मात्र 20904 वोट प्राप्त हुआ है। यानी कांग्रेस की वोटों में 14479 वोटों की गिरावट दर्ज हुई है जो कि भाजपा को बढ़ने वाले वोटों के लगभग बराबर ही है। लेकिन सवाल फिर वही लौटकर आता है कि किसानों की राजनीति का केंद्र समझें जाने वाले राज्य हरियाणा में किसान आंदोलन का प्रभाव क्यों नहीं नज़र आरहा है?

https://youtu.be/fkYy1meenm8

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