उत्तराखंड: बागेश्वर में पेड़ कटान रोकने के लिए महिलाओं ने फिर शुरू किया 'चिपको आंदोलन'

  
उत्तराखंड: बागेश्वर में पेड़ कटान रोकने के लिए महिलाओं ने फिर शुरू किया 'चिपको आंदोलन'

अगर आपको 70 के दशक में घटित चिपको आंदोलन (Chipko Andolan) को दोबारा देखना है तो चले आइए उत्तराखंड में ही स्थित जिला बागेश्वर. दरअसल उत्तराखंड के बागेश्वर में कमेड़ीदेवी-रंगथरा-मजगांव-चौनाला मोटर मार्ग के लिए काटे जा रहे पेड़ों के बचाने के लिए जाखनी गांव की महिलाओं ने चिपको की तर्ज पर आंदोलन शुरू कर दिया है.

महिलाओं के आंदोलन में गांव के पुरुष भी शामिल हो गए हैं. ग्रामीणों ने एकजुट होकर पुरखों के बसाए जंगल को बचाने का एलान किया साथ ही उन्होंने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए प्राणों को भी न्योछावर करने की बात कही है. 

बीते सोमवार को चिपको आंदोलन की तर्ज पर जाखनी गांव की महिलाओं ने बांज, बुरांश और उतीस के पेड़ों से लिपटकर आंदोलन शुरू किया था. तो वहीं बुधवार को गांव के पुरुषों ने भी आंदोलन में भागीदारी की. ग्रामीणों ने कहा कि मोटर मार्ग निर्माण में सदियों से संरक्षित किए गए पेड़ों को नहीं कटने नहीं दिया जाएगा. जंगल ग्रामीणों के जीवन का आधार है. बांज के घने जंगल से ही गांव में पानी की समुचित व्यवस्था है. जानवरों के लिए चारा एकत्र होता है.

ग्रामीणों ने आगे कहा कि सड़क से करीब 600 की आबादी सीधे प्रभावित हो रही है. उन्हें डर है कि सड़क बनने से जाखनी ग्रामसभा की वन पंचायत में मौजूद बहुमूल्य वन संपदा नष्ट हो जाएगी. इसलिए पेड़ों को बचाने के लिए वे हर संभव प्रयास करेंगे. यही नहीं पेड़ काटे जाने से यहां के पानी का स्रोत भी प्रभावित हो जाएगा. मजगांव तक सड़क कट गई है. इससे आगे सड़क निर्माण पर्यावरण के लिए नुकसानदायक साबित होगा.

जाखनी के ग्रामीणों में अधिकारियों की उपेक्षा से भी रोष बढ़ता जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि वे जंगल बचाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन या शासन उपेक्षा कर रहा है. कहा कि अब भी सड़क कटान का काम चल रहा है. अधिकारी आंदोलनकारियों की सुध लेने की जहमत तक की नहीं उठा रहे हैं.

हालांकि वन विभाग की ओर से काम रोके जाने की बात कही जा रही है, लेकिन कोई ठोस आश्वासन ग्रामीणों को नहीं दिया गया है. उधर, प्रशासन सड़क निर्माण को हाई कोर्ट से भी मंजूरी मिलने की बात कहते हुए निर्माण कार्य जारी रखे हुए है.

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