Gaming Addiction: बच्चों में इंटरनेट और ऑनलाइन गेमिंग की लत एक मानसिक समस्या! जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट
Gaming Addiction: आजकल बच्चों में मोबाइल को लेकर क्रेजी होना आम बात हो गया है। स्मार्टफोन में वीडियो गेम्स के सभी फीचर्स होने से बच्चों-किशोरों को ऐसी लत लगी है कि वे 6 से 10 घंटे लगातार स्मार्टफोन पर गेम्स खेल रहे हैं। बच्चों में ये लत कितनी खतरनाक साबित हो रही है। इसी लेकर हमने बात की मध्यप्रदेश की जानीमानी वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक ( Psychologist) डॉ रूमा भट्टाचार्य से कि इससे बच्चों में किस बीमारी का खतरा है और इससे कैसे बचे।
क्यों बढ़ रही ये समस्या ?
आजकल बच्चों-युवाओं में इन्टरनेट की लत एक समस्या बन चुकी है जिसमें बच्चों में इसका प्रभाव ऑनलाइन गेमिंग अडिक्शन के रूप में पाया जा रहा है। स्मार्टफोन में वीडियो गेम्स के सभी फीचर्स होने से बच्चों-किशोरों को ऐसी लत लगी है कि वे 6 से 10 घंटे लगातार स्मार्टफोन पर गेम्स खेल रहे हैं. इससे पढ़ाई तो प्रभावित होती ही है, साथ में सामाजिक दायरा भी सिकुड़ता जा रहा है।
जानें इसके लक्षण के बारें में
• ऑनलाइन गेम्स में जयादा से ज्यादा समय बिताना।
• जब गेम नहीं खेल पा रहा है तो एक तरह की बेचैनी दिखाना.
• गेमिंग को इतनी ज्यादा प्राथमिकता देना कि दूसरी सभी एक्टिविटीज और जरूरी कामों को नजरअंदाज करना।
• गेमिंग की वजह से निजी, पारिवारिक, सामाजिक और शैक्षणिक कामों पर असर पड़ना।
• अपने इंटरनेट गेम उपयोग के बारे में दूसरों से झूठ बोलना।
• इस लत की वजह से नींद, खानपान और शारीरिक गतिविधियां प्रभावित होना।.
जानें क्या है समाधान
इस समस्या के कारण बच्चों को अपने निजी और सामाजिक कार्यों को करने में दिक्कत होने लगती है। इसमें इलाज के लिए मुख्य रूप से मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक की मदद लिया जा सकता है।
माता पिता को चाइये की वो बच्चो को जयादा से ज्यादा समय दें।
किशोरावस्था में आने वाली दिकक्तो के बारे में बच्चे से खुल कर बात करें।
बच्चो के इन्टरनेट प्रयोग का एक निश्चित समय निरधारित करें।