Holi Folk Songs 2022: होली पर कीजिए इन मधुर लोकगीतों का गान, झूम उठेगा रंग में डूबा हर इंसान...
Holi Folk Songs 2022: होली पर रंगों की बहार के साथ-साथ गीतों की मस्ती भी लोगों पर छा जाती है. घर आंगन में होली के गीतों का शोर होता है. समस्त महिलाएं व पुरुष होली के गीतों का गान करते हैं.
लोकगीत से स्पष्ट है वह गीत जो कि किसी समाज तथा राज्य के प्रमुख गीत होते हैं. ऐसे में राजस्थानी, पंजाबी, ब्रज इत्यादि भाषाओं में लोक गीत गाए जाते हैं. होली के गीतों में भी भाषाओं की विभिन्नता पाई जाती हैं.
आजकल के दौर में लोग होली पर गाए जाने वाले विभिन्न लोकगीतों को भूलते जा रहे हैं. अधिकतर लोगों को लोकगीत याद भी नहीं होते हैं, ऐसे में यहां आप होली के कुछ बेहतरीन लोकगीत के लिरिक्स गाकर होली का आनंद ले सकते हैं.
आइए जानते हैं कुछ बेहतरीन होली पर गाए जाने वाले लोकगीत..
1.
मिथिलापुर एक नारि सयानी,
सीख देइ सब सखियन का,
बहुरि न राम जनकपुर अइहैं,
न हम जाब अवधपुर का।।
जब सिय साजि समाज चली,
लाखौं पिचकारी लै कर मां।
मुख मोरि दिहेउ, पग ढील
दिहेउ प्रभु बइठौ जाय सिंघासन मां।।
हम तौ ठहरी जनकनंदिनी,
तुम अवधेश कुमारन मां।
सागर काटि सरित लै अउबे,
घोरब रंग जहाजन मां।।
भरि पिचकारी रंग चलउबै,
बूंद परै जस सावन मां।
केसर कुसुम, अरगजा चंदन,
बोरि दिअब यक्कै पल मां।।
2.
होरी खेलत राधे किसोरी
बिरिजवा के खोरी।
केसर रंग कमोरी घोरी
कान्हे अबीरन झोरी।
उड़त गुलाल भये बादर
रंगवा कर जमुना बहोरी।
बिरिजवा के खोरी।
लाल लाल सब ग्वाल भये,
लाल किसोर किसोरी।
भौजि गइल राधे कर सारी,
कान्हर कर भींजि पिछौरी।
बिरिजवा के खोरी
3.
सखि, होली ने धूम मचाई
महिनवा फागुन का।
देखो झूम-झूम नाचे है मनवा
महिनवा फागुन का।।
हरे-हरे खेतवा में पीली-पीली सरसों
टेसू का रंग नहीं छूटेगा बरसों
आज धरती का नूतन सिंगार
महिनवा फागुन का। सखि…
अबीर-गुलाल की धूम मची है
रंगों की कैसी फुहार चली है
तन रंग गयो, हां मन रंग गयो मोरा
महिनवा फागुन का। सखि…
कान्हा के हाथ कनक पिचकारी
राधा के हाथ सोहे रंगों की थारी
होरी खेल रहे हां, होली खेल रहे बाल-गोपाल
महिनवा फागुन का। सखि…
बैर-भाव की होली जली है
गाती बजाती ये टोली चली है
सखि प्रेम-रंग हां, देखो प्रेम-रंग बरसे अंगनवा
महिनवा फागुन का। सखि..
4.
चैत महिनवा पिया परदेस में,
जियरा में हूक उठे मोरे रामा, चैत महिनवा।
को बिन सूनी लागे, अंबुआ की डारी,
को बिन सूनों, जियरा हो रामा, चैत महिनवा।
कोयल बिन सूनी, अंबुआ की डारी,
पी बिन सूनों, जियरा हो रामा, चैत महिनवा।
को बिन सूनो लागे, गेंदा को फुलवा,
को बिन सूनों, जियरा हो रामा, चैत महिनवा।
भौंरा बिन सूनो, गेंदा को फुलवा,
पी बिन सूनों, जियरा हो रामा, चैत महिनवा।
5.
सरजू तट राम खेलैं होली,
सरजू तट।
केहिके हाथ कनक पिचकारी
केहिके हाथ अबीर झोली,
सरजू तट।
राम के हाथ कनक पिचकारी,
लछिमन हाथ अबीर झोली,
सरजू तट।
केहिके हाथे रंग गुलाली,
केहिके साथ सखन टोली।