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Marriage Certificate: शादी के बाद क्यों जरूरी है मैरिज सर्टिफिकेट, जानें क्या -क्या हैं इसके फायदे

 

Marriage Certificate: आज कल शादी करने के बाद कपल एक चीज जो सबसे जरूरी होती है उसे भूल जाते हैं। वो हैं शादी होने का प्रमाण पत्र। भारतीय कानून के अनुसार विवाहित होने का कानूनी प्रमाण माना जाता है। कई सरकारी योजनाओं का लाभ पत्नी लेना चाहती है तो यह प्रमाण-पत्र सहायक होता है। इसके बनाने के और भी कई फायदे हैं। मध्यप्रदेश के सरकारी अधिवक्ता प्रशांत हरने ने बताया कि कोविड-19 के चलते प्रमाणपत्र के लिए पंजीकरण कराने की सुविधा ऑनलाइन कर दी गई है। ऑनलाइन मैरिज सर्टिफिकेट फॉर्म के साथ कुछ जरूरी डॉक्युमेंट्स अपलोड करने पड़ते हैं। आइए जानते हैं कहां बनवाएं और क्या लगेंगे दस्तावेज।

सबसे पहले जानें विवाह अधिनियम के बारे में।

हिन्दू विवाह अधिनियम (1955) दूसरा विशेष विवाह अधिनियम (1954) ये दो एक्ट हैं।  हिन्दू विवाह के पक्ष अविवाहित या तलाकशुदा होने चाहिए या यदि पहले विवाह हो गया है तो उस शादी के समय पहली पत्नी या पति जीवित नहीं होने चाहिए। विशेष विवाह अधिनियम, विवाह अधिकारी द्वारा विवाह सम्पन्न करने तथा पंजीकरण करने की व्यवस्था करता है। हिन्दू विवाह अधिनियम केवल हिन्दुओं के लिए लागू होता है, जबकि विशेष अधिनियम भारत के सभी नागरिकों के लिए लागू होता है।

विवाह प्रमाण पत्र बनवाने के लिए लगने वाले दस्तावेज

  • 8 पोस पोर्ट फोटो- बिना चश्मे वाला कलर फोटो
  • 4 शादी के फोटो -एल्बम साइज
  •   1 फोटो फेरा वाला
  •    2 मांग भारते हुए 
  •   3 फैमिली के साथ 
  •    4 सिंगल 

तीन गवाह जो पेश होते हैं कोर्ट

  • आईडी ( आधार कार्ड के साथ)
  • 10th और 12th मार्कशीट
  • आधार कार्ड 
  • पापा का आधार कार्ड एक फोटो 
  • मम्मी के फोटो -1 
  • पापा के फोटो-1 

कहां और किससे लें विवाह प्रमाण पत्र?

  • हिंदू विवाह कानून के तहत उस रजिस्ट्रार के पास आवेदन की जरूरत होती है, जिसके क्षेत्र में शादी हुई है।
  • पंजीकरण के लिए दोनों को अपने माता-पिता या अभिभावक या फिर विवाह में मौजूद तीन लोगों को गवाह के रूप में रजिस्ट्रार के सामने पेश होना होता है।
  •  इसमें पांच साल तक के समय की छूट रजिस्ट्रार दे सकता है, लेकिन इससे बाद की छूट संबंधित जिला रजिस्ट्रार ही दे सकता है।
  • विशेष विवाह कानून इसके लिए विवाह के इच्छुक जोड़े को विवाह अधिकारी के पास शादी से कम से कम 30 दिन पहले आवेदन देना होता है। इस आवेदन के आधार पर उस कार्यालय के नोटिस बोर्ड संबंधितों के शादी की नोटिस लगा दी जाती है।
  • अगर लड़के या लड़की में से कोई किसी अन्य क्षेत्र का रहने वाला है तो वहां के संबंधित विवाह अधिकारी के कार्यालय पर भी इसे चस्पा किया जाता है।
  • अगर नोटिस चस्पा करने के एक माह के भीतर कोई आपत्ति नहीं आती है तो विवाह संपन्न करा दिया जाता है। अगर आपत्ति आती है तो विवाह अधिकारी जांच के बाद फैसला करेगा कि विवाह कराना है या नहींष
  • विवाह के बाद ही इसे रजिस्टर किया जाएगा।  पहले से किया गया विवाह भी 30 दिन का नोटिस देने के बाद विशेष विवाह अधिनियम के तहत रजिस्टर कराया जा सकता है।

विवाह प्रमाण पत्र के फायदे क्या-क्या हैं?

  • शादी के बाद अगर वधू अपना सरनेम नहीं बदलना चाहती तो यह दस्तावेज संबंधित सभी कानूनी फायदे पहुंचाता है।
  • ज्वॉइंट अकाउंट और जीवन बीमा करवाने के लिए यह प्रमाण जरूरी होता है।
  • विवाह के पश्चात किसी भी नेशनल बैंक से लोन लेने के लिए विवाह प्रमाण-पत्र लगता है।
  • कई सरकारी योजनाओं का लाभ पत्नी लेना चाहती है तो यह प्रमाण-पत्र सहायक होता है।

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