मिर्ज़ा ग़ालिब के 10 शानदार शेर

Mirza Ghalib shayari in hindi: 'दिल-ए-नादाँ तुझे...'

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है, आख़िर इस दर्द की दवा क्या है

गुज़रे हुए लम्हों को मैं इक बार तो जी लूँ, कुछ ख्वाब तेरी याद दिलाने के लिए हैं

जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा, कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है

हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो, हमारा शहर तो बस यूँ ही रास्ते में आया था

लोग कहते है दर्द है मेरे दिल में, और हम थक गए मुस्कुराते मुस्कुराते

हम तो फना हो गए उसकी आंखे देखकर गालिब, न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे

हम न बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ, जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा

इश्क़ ने गालिब निकम्मा कर दिया, वर्ना हम भी आदमी थे काम के

मंज़िल मिलेगी भटक कर ही सही, गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं

हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ गालिब, नसीब उनके भी होते है जिनके हाथ नहीं होते