Health Tips: आजकल लोगों में बीमारियों का होना ज्यादा हो रहा है। मायोकार्डियल इंफार्क्शन है जिसे हिंदी में हृदयघात या दिल का दौरा के नाम से भी जाना जाता है। मायोकार्डियल इंफार्क्शन दिल से जुड़ी एक गंभीर समस्या है। इसे अंग्रेजी में कार्डियक इंफार्क्शन, कार्डियोपल्मोनरी अरेस्ट, कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर के नाम से भी जाना जाता है। जब हार्ट से सही तरह से ब्लड की पंपिंग नहीं हो पाती है तो दिल की मांसपेशियों में ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित होती है। जिससे मांसपेशियों पर प्रभाव पड़ना शुरू होता है।स्थिति गंभीर होने पर जान जाने का खतरा रहता है।मायोकार्डियल इंफार्क्शन को 35 से 55 साल के बीच के लोगों में होने वाले हार्ट अटैक की समस्या की मुख्य वजह माना जाता है।
मायोकार्डियल इंफार्क्शन के कारण
- हाई कोलेस्ट्रॉल
- डायबिटीज
- हाई ब्लड प्रेशर
- कोरोनरी आर्टरी डिजीज
- मोटापे की समस्या
- खराब लाइफस्टाइल और डाइट
मायोकार्डियल इंफार्क्शन के लक्षण
मायोकार्डियल इंफार्क्शन की समस्या से पीड़ित मरीज को सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और बेचैनी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। शुरुआत में लक्षण सामान्य या फिर हल्का दिख सकता है। लेकिन जैसे जैसे समस्या बढ़ती है लक्षण गंभीर होने लगते हैं।
- सांस लेने में दिक्कत
- सीने में गंभीर दर्द
- हाथ, पीठ और पैरों में दर्द
- बेचैनी और घबराहट
- सीने में जलन
- दिल की धड़कन का अनियमित होना
- ठंड लगना और पसीना आना
- चक्कर और कमजोरी
- जी मिचलाना और उल्टी होना
मायोकार्डियल इंफार्क्शन का इलाज
मायोकार्डियल इंफार्क्शन या दिल का दौरा पड़ने के लक्षण को देखते ही तुरंत मरीज को डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए। अस्पताल में डॉक्टर ईसीजी, ब्लड टेस्ट, इकोकार्डियोग्राम और कार्डिएक कैथीटेराइजेशन जैसे टेस्ट करते हैं। जांच के आधार पर मरीज को दवाएं दी जाती है। अगर जरूरत पड़ती है तो फिर सर्जरी की जाती है।
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