Navratri 2022: चौथे दिन होती है मां कूष्मांडा की पूजा, देवी के इन फोटोज और कथा से करें अपनों को नवरात्रि विश

 
Navratri 2022: चौथे दिन होती है मां कूष्मांडा की पूजा, देवी के इन फोटोज और कथा से करें अपनों को नवरात्रि विश

Navratri 2022: नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप देवी कूष्मांडा की पूजा का विधान है। मां कूष्मांडा सूर्य के समान तेज वाली हैं। जगत जननी मां जगदंबे के चौथे स्वरूप का नाम कूष्माण्डा है। आप भी मां की इस कथा औऱ उनके फोटोज को अपनों को भेजकर नवरात्रि विश कर सकते हैं। जानते हैं मां कूष्मांडा के इस रूप के बारे में।

कैसा है मां कूष्मांडा का स्वरूप ?

मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। वहीं आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है और संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्मांडा कहते हैं। इसीलिए मां दुर्गा के इस रूप को कूष्मांडा कहा जाता है।

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मां कुष्मांडा देवी का अवतार, मां दुर्गा के नौ रूपों में से एक है जिनकी पूजा नवरात्र के चौथे दिन की जाती है। मां दुर्गा के इस अवतार का नाम, तीन शब्दों से मिलकर बना है - ‘कु’ यानी छोटा सा, ‘उस्मा’ यानी ऊर्जा और ‘अंडा’ यानी एक गोला। अर्थात, मां कुष्मांडा के नाम का पूरा मतलब है- ऊर्जा का एक छोटा सा गोला। कहा जाता है, कि जब सृष्टि में चारों ओर अंधकार फैला था, तब माँ दुर्गा अपने इसी स्वरूप में प्रकट हुई थीं। अपनी मनमोहक मुस्कान से माँ दुर्गा ने चारों तरफ प्रकाश उत्पन्न कर ब्रह्माण्ड की रचना की थी। इस कारण, यह आदि स्वरूपा या आदिशक्ति के नाम से भी जानी जाती हैं। मां कुष्मांडा को ब्रह्मांड की पहली देवी कहा गया है, जो आंतरिक शक्ति का एक रूप हैं। सिंह पर सवारी करती हुई मां कुष्मांडा का रूप बड़ा ही मनमोहक प्रतीत होता है और उनके मुख मंडल पर सदैव ही एक प्यारी सी मुस्कान सुशोभित रहती है।

माता का मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे।

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