दुनिया का दूसरा स्विट्ज़रलैंड देवभूमि उत्तराखंड, इन स्थलों के आगे फेल है यूरोप की खूबसूरती

 
दुनिया का दूसरा स्विट्ज़रलैंड देवभूमि उत्तराखंड, इन स्थलों के आगे फेल है यूरोप की खूबसूरती

देवो की देवभूमि वैसे तो पूरे विश्व में अपनी मनोरम वादियों, हिमालय, झील-झरने और तालों के लिए  प्रख्यात है लेकिन क्या आप जानते है उत्तराखंड की उन जगहों को जो विश्व में यूरोप की नैसर्गिक सुंदरता से भी कमतर नहीं है। तो चलिए आज आपको उत्तराखंड के उन पांच टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स की सैर कराते हैं जिन्हें देखने दुनियाभर से टूरिस्ट यहां आते हैं।

औली

औली को भारत का मिनी स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। भारत का यह मिनी स्विट्जरलैंड इतना खूबसूरत है कि विदेशी तक यहां के नजारे देखते नहीं थकते। यह मिनी स्विट्जरलैंड उत्तराखंड के चमोली में स्थित है। यहां कि वादियां और पहाड़ देखकर आपको यह महसूस होगा कि आप सच में स्विट्जरलैंड की सैर कर रहे हैं।

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दुनिया का दूसरा स्विट्ज़रलैंड देवभूमि उत्तराखंड, इन स्थलों के आगे फेल है यूरोप की खूबसूरती
image credits :auli/wikimedia

हर साल कुदरत के इस नायाब उपहार को निहारने के लिए आने वाले लोगों की भीड़ में कभी कोई कमी नहीं रहती बल्कि और बढ़ती जाती है। बर्फ पर स्कीइंग का आनंद लेने के लिए दुनिया भर से पर्यटक यहां खींचे चले आते हैं। औली को केवल सर्दियों के मौसम में ही नहीं बल्कि इसकी सुंदरता को निहारने पर्यटकों की भीड़ बारह महीने यहां आती रहती है। बर्फ की सफेद चादर ओढ़े पहाड़ों पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त का नजारा, यहां देखने लायक रहता है। 

देवप्रयाग

देवप्रयाग समुद्र तल से 830 मीटर की ऊंचाई पर है। ऋषिकेश से देवप्रयाग की दूरी महज 70 किलोमीटर के करीब है। यह खूबसूरत जगह अलकनंदा-भागीरथी नदी के संगम पर बसी है। देवभूमि उत्तराखंड के पंच प्रयागों में से एक देवप्रयाग है। मान्यता है कि जब राजा भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर उतरने के लिए मनाया तो उनके साथ ही 33 करोड़ देवी- देवता भी गंगा के साथ स्वर्ग से देवप्रयाग में उतरे थे।

दुनिया का दूसरा स्विट्ज़रलैंड देवभूमि उत्तराखंड, इन स्थलों के आगे फेल है यूरोप की खूबसूरती
image credits :devprayag/wikimedia

ये ही वो जगह है जहां भागीरथी और अलकनंदा नदी का संगम होता है ।  देवप्रयाग में बड़ी तादाद में श्रद्धालु आते हैं। यह बेहद मनोरम स्थल है जहां की खूबसूरती और शांत वातावरण श्रद्धालु और पर्यटकों के दिल में सुकूं देता है।

तपोवन

तपोवन गंगोत्री हिमनद से 6 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां के अद्भुत नजारे पर्यटकों का दिल जीत लेते हैं। तपोवन से दूर-दूर तक फैली हिमालय की चोटियां दिखती हैं। तपोवन को ही नंदनवन भी कहते हैं। यहां पर्वतारोहण के लिए कैंपिंग की जाती है। गोमुख ट्रैकिंग के पास ही तपोवन है जहां हर साल लाखों की तादाद में विदेशी पर्यटक ट्रैकिंग के लिए उमड़ते हैं।

दुनिया का दूसरा स्विट्ज़रलैंड देवभूमि उत्तराखंड, इन स्थलों के आगे फेल है यूरोप की खूबसूरती
image credits :tapovan/wikimedia

नंदनवन से शिवलिंग, भागीरथी, केदार डोम, थलय सागर और सुदर्शन जैसे चोटियों का शानदार दृश्य दिखता है। पर्यटक यहां ट्रैकिंग के अलावा पर्वतों पर चढ़ाई और रॉक क्लाइम्बिंग भी करते हैं। यहां के हरियाली से भरे चीड़ और देवदार के वृक्ष पर्यटकों को काफी लुभाते हैं।

फूलों की घाटी

क्या आपने उत्तराखंड में स्थित फूलों की घाटी के बारे में कभी सुना है। यहां हर साल लाखों की तादाद में पर्यटक आते हैं और इसकी सुंदरता का लुत्फ उठाते हैं। यह एक राष्ट्रीय उद्यान है जो कि गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित है। इसे विश्व की धरोहर भी घोषित किया गया है।

दुनिया का दूसरा स्विट्ज़रलैंड देवभूमि उत्तराखंड, इन स्थलों के आगे फेल है यूरोप की खूबसूरती
image credits :valley of flower/wikimedia

फूलों की घाटी 87.50 किमी वर्ग के क्षेत्र में फैली हुई है। इसे यूनेस्को ने 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया था। हिमाच्छादित पर्वतों से घिरी हुई यह घाटी बेहद खूबसूरत है। यहां आपको फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां देखने को मिल जाएंगी। यह क्षेत्र बागवानी विशेषज्ञों और फूल प्रेमियों के लिए बेहद फेमस है।

मुक्तेश्वर

नैनीताल से करीब 46 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मुक्तेश्वर धाम पर हर साल सर्दी में पर्यटक यहां की खूबसूरत वादियों को देखने आते हैं, यहां बर्फबारी का लुत्फ उठाने लोग भारी संख्या में आते हैं, जिससे यहां के स्थानीय ग्रामीणों को उनके होटल और खाने के व्यवसाय में काफी फायदा मिलता है। 

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image credits :mukteshwar/wikimedia

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