World Aids Day 2022: दुनिया भर में हर साल 1 दिसंबर को एड्स डे मनाया जाता है। इसका मकसद लोगों के बीच इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना है। आज एड्स डे पर इस आर्टिकल में हम इस बीमारी से जुड़े सात बड़े मिथकों और उसकी सच्चाई बता रहे हैं जो हर व्यक्ति को पता होनी चाहिए।
एच.आई.वी./ एड्स क्या है?
एड्स- एच.आई.वी. नामक विषाणु से होता है। संक्रमण के लगभग 12 सप्ताह के बाद ही रक्त की जॉंच से ज्ञात होता है कि यह विषाणु शरीर में प्रवेश कर चुका है, ऐसे व्यक्ति को एच.आई.वी. पोजिटिव कहते हैं। एच.आई.वी. पोजिटिव व्यक्ति कई वर्षो (6 से 10 वर्ष) तक सामान्य प्रतीत होता है और सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है, लेकिन दूसरो को बीमारी फैलाने में सक्षम होता है। यह विषाणु मुख्यतः शरीर को बाहरी रोगों से सुरक्षा प्रदान करने वाले रक्त में मौजूद टी कोशिकाओं (सेल्स) व मस्तिष्क की कोशिकाओं को प्रभावित करता है और धीरे-धीरे उन्हे नष्ट करता रहता है कुछ वर्षो बाद (6 से 10 वर्ष) यह स्थिति हो जाती है कि शरीर आम रोगों के कीटाणुओं से अपना बचाव नहीं कर पाता और तरह-तरह का संक्रमण (इन्फेक्शन) से ग्रसित होने लगता है इस अवस्था को एड्स कहते हैं।
एड्स का खतरा किसके लिए
- एक से अधिक लोगों से यौन संबंध रखने वाला व्यक्ति।
- वेश्यावृति करने वालों से यौन सम्पर्क रखने वाला व्यक्ति।
- नशीली दवाईयां इन्जेकशन के द्वारा लेने वाला व्यक्ति।
- यौन रोगों से पीडित व्यक्ति।
- पिता/माता के एच.आई.वी. संक्रमण के पश्चात पैदा होने वाले बच्चें।
- बिना जांच किया हुआ रक्त ग्रहण करने वाला व्यक्ति।
एड्स रोग कैसे फैलता है
- एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन सम्पर्क से।
- एच.आई.वी. संक्रमित सिरिंज व सूई का दूसरो के द्वारा प्रयोग करने सें।
- एच.आई.वी. संक्रमित मां से शिशु को जन्म से पूर्व, प्रसव के समय, या प्रसव के शीघ्र बाद।
- एच.आई.वी. संक्रमित अंग प्रत्यारोपण से।
एड्स से बचाव के उपाय
- जीवन-साथी के अलावा किसी अन्य से यौन संबंध नही रखे।
- यौन सम्पर्क के समय निरोध(कण्डोम) का प्रयोग करें।
- मादक औषधियों के आदी व्यक्ति के द्वारा उपयोग में ली गई सिरिंज व सूई का प्रयोग न करें।
- एड्स पीडित महिलाएं गर्भधारण न करें, क्योंकि उनसे पैदा होने वाले शिशु को यह रोग लग सकता है।
- रक्त की आवश्यकता होने पर अनजान व्यक्ति का रक्त न लें, और सुरक्षित रक्त के लिए एच.आई.वी. जांच किया रक्त ही ग्रहण करें।
- डिस्पोजेबल सिरिन्ज एवं सूई तथा अन्य चिकित्सीय उपकरणों का 20 मिनट पानी में उबालकर जीवाणुरहित करके ही उपयोग में लेवें, तथा दूसरे व्यक्ति का प्रयोग में लिया हुआ ब्लेड/पत्ती काम में ना लेंवें।