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Aaj ka shlok: जीवन में पाना चाहते हैं लक्ष्य, तो रोजाना पढ़िए गीता का ये श्लोक

 

Aaj ka shlok: प्रत्येक सुबह हम आपके लिए श्रीमद्भागवत गीता का एक श्लोक लेकर आते हैं. जिसे पढ़कर आप अपने दिन की शुरुआत करते हैं. श्रीमदभागवत गीता का महत्व धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से देखने को मिलता है. इसकी उत्पत्ति तब हुई थी, जब महाभारत काल में श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. गीता हिंदुओं का एक पवित्र ग्रंथ है, जिसमें लिखी बातें व्यक्ति के जीवन में एकदम सटीक बैठती हैं. यही कारण है आज भी अगर कोई व्यक्ति जरूरत से ज्यादा विचलित हो जाए, या सुख दुख के बंधन में ही बंधा रह जाए, तब गीता का पाठ ही उसकी भव सागर की नौका को पार लगा सकता है.

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गीता का पाठ करने या सार समझने के पश्चात ये निश्चित है कि व्यक्ति सदैव के लिए मोह माया के बंधन से छुटकारा पा लेता है. साथ ही उसको प्रतिदिन गीता का अध्ययन करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसे में आज हम आपके लिए हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ गीता का एक अन्य श्लोक लेकर आए हैं. जिसे पढ़ने और जपने मात्र से आपको जगत के पालनहार श्री कृष्ण की कृपा के साथ उनका आशीर्वाद भी मिलता है.

हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।

तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:।।

आज का श्लोक

तात्पर्य है कि युद्ध करते हुए यदि तुम शहीद हो जाओगे तो स्वर्ग पाओगे और युद्ध जीतोगे तो पृथ्वी पर स्वर्ग के समान राज्य भोगोगे, तो चिंता मत करो, उठो और लड़ो.

इस प्रकार, प्रतिदिन गीता के श्लोक या आज का श्लोक पढ़ने के बाद आप अपनी ज्ञानेंद्रियों को नियंत्रित रख सकते हो, साथ ही दुनिया के मायाजाल से परे अपने जीवन को उद्देश्यपूर्ण बना सकते हो. इतना ही नहीं, प्रतिदिन गीता के एक श्लोक का अध्ययन या जाप करने मात्र से आपको जीवन चक्र से छुटकारा मिल सकता है. साथ ही आपको सदैव ऐसा ही प्रतीत होगा कि भगवान श्री कृष्ण सदैव आपके साथ हैं.