Bhai binna 2022: रक्षाबंधन के बाद क्यों मनाया जाता है भाई बिन्ना का त्योहार? नि:संतान महिलाओं के लिए इस दिन व्रत का है खास महत्व
Bhai binna 2022: हिंदू धर्म में अनेक प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं. यहां हर त्योहार के पीछे अपनी एक गाथा है. जिसका पूर्ण रूप से धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व भी मौजूद है. हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले त्योहार मुख्य तौर पर आस्था, सौहार्द और परस्पर भाईचारा बढ़ाते हैं. इसी तरह से रक्षाबंधन के त्योहार के बाद भाई बिन्ना का त्यौहार मनाया जाता है.
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यह पर्व भादो के महीने में कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. जिसे गोगा पंचमी भी कहा जाता है. इस बार भाई बिन्ना का त्योहार 16 अगस्त 2022 यानि कि मंगलवार के दिन मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में इस दिन बहनें अपने भाइयों के मस्तक पर तिलक लगाकर उनका टीका करती हैं और उन्हें मिठाई खिलाते हैं. जिसके बदले में भाई भी अपनी बहन को उपहार स्वरूप कुछ भेंट देते हैं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जो बहने अपने भाई के मस्तक पर टीका करके उन्हें मिठाई खिलाते हैं. वह इस दिन चावल और चने का बना हुआ बासी भोजन ग्रहण करती हैं. भाई बिन्ना का त्योहार भी रक्षाबंधन की तरह मनाया जाता है. हम इस लेख में हम आपको इस त्योहार के महत्व के विषय में बताएंगे. तो चलिए जानते हैं…
क्या है भाई बिन्ना के पर्व को मनाने की पीछे की मान्यता
भाई बिन्ना का पर्व हिंदू धर्म में कई सालों से मनाया जा रहा है. इस दिन गोगा महाराज के साथ-साथ नाग देवता की भी पूजा की जाती है. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस दिन गोगा महाराज की विधि विधान से आराधना करता है, गोगा महाराज की कृपा से उस पर सर्प के काटने का कोई असर नहीं होता. यानी गोगा महाराज की पूजा करने से व्यक्ति इस दिन सांप के काटने से बच जाता है.
हिंदू धर्म की महिलाएं भाई बिन्ना वाले दिन अपनी संतान की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए व्रत का विधि विधान से पालन करती हैं. इस दिन जो भी नि:संतान महिलाएं गोगा महाराज की पूजा करती हैं, उनके सौभाग्य में वृद्धि होती है और जल्द ही उनकी गोद में नन्हें बालक की किलकारियां गूंजने लगती है.
भाई बिन्ना के दिन कैसे करें पूजा?
इस दिन घर में दीवार की पूर्व ओर गेरू से पोतकर दूध में कोयला मिलाकर उससे एक चौकोर चौक बनाया जाता है. फिर उसके ऊपर पांच नाग बनाए जाते हैं. इसके बाद पूजा करने के दौरान उस पर कच्चा दूध, चावल, रोली, पानी आदि चढ़ाया जाता है. इसके बाद प्रसाद की तौर पर बाजरा, आटा, घी और शक्कर को मिलाकर भोग लगाया जाता है.