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Chaitra Navratri 2023: नवरात्र का दूसरा दिन, मां के किस स्वरूप की होती है पूजा?

 

Chaitra Navratri 2023: हिंदू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व है. वैसे तो नवरात्र साल में चार बार आते हैं. चैत्र, शारदीय नवरात्र के अलावा दो और नवरात्र आते हैं जो की गुप्त नवरात्र कहलाते हैं. चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो कल से चुकी है. साथ ही हिंदू नववर्ष विक्रम संवत् २०८० कल से चुकी है.नवरात्र के पावन अवसर पर नौ दिनों तक देवी के अलग अलग स्वरूपों की पूजा कि जाती है. आज नवरात्र के दूसरे दिन माँ के किस स्वरूप की पूजा की जाती है, आइये जानते हैं.

नवरात्र का दूसरा दिन

नवरात्र का पहले दिन माँ के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है. ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली. इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है और उन्हें लाल रंग अतिप्रिय है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए.

माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप

ब्रह्मचारिणी माँ की नवरात्र पर्व के दूसरे दिन पूजा-अर्चना की जाती है. साधक इस दिन अपने मन को माँ के चरणों में लगाते हैं. ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप ज्योतिर्मय एवं अत्यंत भव्य हैं. इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता है. शास्त्रों में ऐसा उल्लेख है कि माता ब्रह्मचारिणी पूर्व जन्म में राजा हिमालय के घर मैना के गर्भ से उत्पन्न हुईं.

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देवर्षि नारद के कहने पर माता ब्रम्हचारिणी शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए जंगल में जाकर हजारों वर्ष केवल फल का खाकर कठिन तपस्या की थी. पुनः शिव को विशेष प्रसन्न करने के लिए ब्रह्मचारिणी ने 3000 वर्ष तक वृक्षों से गिरे सूखे पत्तों को खाकर कठिन तपस्या की थी.

माँ ब्रह्मचारिणी का मंत्र

दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

माँ ब्रह्मचारिणी के दिन यानी नवरात्रि के दूसरे दिन इस मंत्र का जाप करने से माँ की विशेष कृपा मिलती है. और साधक की हर मनोकामना पूरी होती है.